सूरह कुरैश (Arabic: قريش) कुरान की 106वीं सूरह है। यह मक्का में अवतरित हुई थी और इसमें कुल 4 आयतें ( verses) हैं। सूरह कुरैश का नाम “कुरैश” उस कबीले के नाम पर रखा गया है, जिसका संबंध पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से है। कुरैश का कबीला मक्का का प्रमुख कबीला था और इसे इस सूरह में उनके विशेष गुणों और उनके व्यापारिक महत्व के संदर्भ में वर्णित किया गया है।
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मुख्य विषय
सूरह कुरैश का मुख्य उद्देश्य कुरैश की भलाई और उनके व्यापारिक लाभ का उल्लेख करना है। यह सूरह अल्लाह की उन नेमतों को भी बयां करती है, जो कुरैश को मिलीं हैं, और उन्हें अल्लाह की इबादत की ओर आमंत्रित करती है।
सूरह कुरैश के आयात
1. लिइलाफ कुरैश
- “कुरैश के आदर के लिए।”
2. इलाफिहिम रिहलत अल्शिता व अलस्सैफ
- “उनके लिए (मक्का के) गर्मी और सर्दी के मौसम में यात्रा।”
3. फाल्यआबुदू रब्बा हाज़ा अल्बैत
- “इसलिए उन्हें चाहिए कि वे इस घर के रब की इबादत करें।”
4. अल्लज़ी ऐट’आहुम मिं जूआं व आमनहुम मिन खौफ़
- “जिसने उन्हें भूख से बचाया और उन्हें भय से सुरक्षित रखा।”
Verses of Surah Quraish
1. Li’ilafi Quraish
- “For the security of Quraish.”
2. Ilafi him rihalat al-shita’ wa al-saif
- “Their winter and summer journeys.”
3. Falya’budu rabba haza al-bayt
- “So let them worship the Lord of this House.”
4. Allazi at’ahum min ju’a wa amanahum min khauf
- “Who has fed them against hunger and has made them safe from fear.”
Surah Quraish in Arabic
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
1. لِإِيلَافِ قُرَيْشٍ
2. إِيلَافِهِمْ رِحْلَةَ الشِّتَاءِ وَالصَّيْفِ
3. فَلْيَعْبُدُوا رَبَّ هَٰذَا الْبَيْتِ
4. الَّذِي أَطْعَمَهُمْ مِنْ جُوعٍ وَآمَنَهُمْ مِنْ خَوْفٍ
सूरह कुरैश की महत्ता
- कुरैश के लिए प्रशंसा: यह सूरह कुरैश के कबीले की सुरक्षा और उनके व्यापारिक सफरों की प्रशंसा करती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अल्लाह ने उन्हें विशेष अनुग्रह प्रदान किया है।
- ईबादत की प्रेरणा: सूरह का अंतिम संदेश कुरैश को उनकी सुरक्षा और समृद्धि के लिए अल्लाह का आभार मानने और उसकी इबादत करने की प्रेरणा देती है।
- समुदाय के लिए शिक्षा: यह सूरह यह सिखाती है कि जो लोग अल्लाह की नेमतों का अनुभव करते हैं, उन्हें उसकी इबादत और धन्यवाद करना चाहिए।
निष्कर्ष
सूरह कुरैश एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण सूरह है, जो कुरैश कबीले की महानता और अल्लाह के प्रति आभार को दर्शाती है। यह मुसलमानों को अपने जीवन में ईश्वर के अनुग्रहों की पहचान और उसकी इबादत करने की प्रेरणा देती है।