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Johar Ki Namaz Ka Tarika।जोहर की नमाज पढ़ने का तरीका

Johar Ki Namaz Ka Tarika

Johar Ki Namaz Ka Tarika

अस्सलामु अलैकुम, आज हम इस पोस्ट में Johar ki Namaz Ka Tarika की पूरी जानकारी आपके सामने लेकर आए हैं। इस पोस्ट में हम Johar ki Namaz Ka Tarika से जुड़े सारे सवालों के जवाब देंगे। सारी मालूमात जानने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें।

Johar Ki Namaz Ka Tarika

जोहर की नमाज़, जो कि दिन के मध्य में अदा की जाती है, इस्लामी इबादत का एक अहम हिस्सा है। यह नमाज़, ज़ुहर की नमाज़ से पहले की नमाज़ है और इसका मकसद आध्यात्मिक शांति हासिल करना है। जोहर की नमाज़ को दो रकअतों में पढ़ा जाता है, और इसकी नीयत दिल से की जाती है। इसके फज़ाइल में जिक्र और दुआओं की काबुलियत शामिल है। इस लेख में हम जोहर की नमाज़ के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे और आपके सवालों के जवाब देंगे। आप जानेंगे कि यह नमाज़ कैसे अदा की जाती है, इसकी अहमियत क्या है, और इसे कब पढ़ना है। आइए शुरू करते हैं!

Johar Ki Namaz ka Waqt| जोहर की नमाज़ का वक्त

जोहर की नमाज़ का वक्त तब शुरू होता है जब सूरज अपनी ऊँचाई से नीचे आने लगता है। यह आमतौर पर दोपहर के करीब होता है। जोहर की नमाज़ का सबसे अच्छा समय तब होता है जब सूरज ढलने लगे, लेकिन यह असर की नमाज़ से पहले तक पढ़ी जा सकती है।

आपको ध्यान रखना चाहिए कि जोहर की नमाज़ को समय पर अदा करना बहुत ज़रूरी है। अगर आप इसे समय पर पढ़ते हैं, तो आपको इसका विशेष सवाब मिलता है।

जोहर की नमाज़ चार रकअतों में पढ़ी जाती है। नीयत के साथ इसे अदा करें और अल्लाह से दुआ करें कि वह आपकी नमाज़ को कबूल करे।

Zohar Ki Namaz Mein Kitni Rakat Hoti Hain|ज़ोहर की नमाज़ में कितनी रकअत होती हैं

जोहर की नमाज़ की रकाते:

नमाज़सुनत रकातफर्ज रकातसुनत रकातनफिल रकात
जोहर4422

इस प्रकार, जोहर की नमाज़ में कुल 12 रकात हो सकते हैं (4 सुन्नत + 4 फर्ज + 2 सुन्नत + 2 नफिल)।

Johar Ki Namaz Ki Niyat|ज़ोहर की नमाज़ की नीयत

4 रकात सुन्नत की नीयत:

 “मैं निय्यत करता हूँ 4 रकात सुन्नत नमाज़ पढ़ने की जोहर के लिए, अल्लाह के लिए, मुँह मेरा क़िबले की तरफ़, अल्लाहु अकबर।”

4 रकात फर्ज की नीयत:

 “मैं निय्यत करता हूँ 4 रकात फर्ज नमाज़ पढ़ने की जोहर के लिए, अल्लाह के लिए, मुँह मेरा क़िबले की तरफ़, अल्लाहु अकबर।”

2 रकात सुन्नत की नीयत:

 “मैं निय्यत करता हूँ 2 रकात सुन्नत नमाज़ पढ़ने की जोहर के लिए, अल्लाह के लिए, मुँह मेरा क़िबले की तरफ़, अल्लाहु अकबर।”

2 रकात नफिल की नीयत:

 “मैं निय्यत करता हूँ 2 रकात नफिल नमाज़ पढ़ने की जोहर के लिए, अल्लाह के लिए, मुँह मेरा क़िबले की तरफ़, अल्लाहु अकबर।”

Zohar Ki 4 Rakat Sunnat Padhne Ka Tarika| ज़ोहर की 4 रकअत सुन्नत पढ़ने का तरीका

1. तहहरियत और नीयत:

2. क़िबले की तरफ़ रुख करें:

3. अल्फ़ाज़ से शुरू करें:

4. सूरह फातिहा पढ़ें:

5. सूरह पढ़ें:

6. रुकू में जाएं:

7. सिज्दा करें:

8. दूसरा सिज्दा करें:

9. नमाज़ के पहले रकअत को पूरा करें:

10. अखिरी तशहुद:

11. सलाम:

12. दुआ करें:

Zohar Ki 4 Rakat Farz Padhne Ka Tarika|ज़ोहर की 4 रकअत फर्ज पढ़ने का तरीका

1. तहहरियत और नीयत:

2. क़िबले की तरफ़ रुख करें:

3. अल्फ़ाज़ से शुरू करें:

4. सूरह फातिहा पढ़ें:

5. सूरह पढ़ें:

6. रुकू में जाएं:

7. सिज्दा करें:

8. दूसरा सिज्दा करें:

9. नमाज़ के पहले रकअत को पूरा करें:

10. अखिरी तशहुद:

11. सलाम:

12. दुआ करें:

Zohar Ki 2 Rakat Sunnat Padhne Ka Tarika|ज़ोहर की दो रकअत सुन्नत पढ़ने का तरीका

1. तहहरियत और नीयत:

2. क़िबले की तरफ़ रुख करें:

3. अल्फ़ाज़ से शुरू करें:

4. सूरह फातिहा पढ़ें:

5. सूरह पढ़ें:

6. रुकू में जाएं:

7. सिज्दा करें:

8. दूसरा सिज्दा करें:

9. पहली रकअत को पूरा करें:

10. दूसरी रकअत:

11. अखिरी तशहुद:

12. सलाम:

13. दुआ करें:

Johar Ki Namaz Ka Tarika

Zohar Ki 2 Rakat Nafl Padhne Ka Tarika|ज़ोहर की दो रकअत नफ्ल पढ़ने का तरीका

1. तहहरियत और नीयत:

2. क़िबले की तरफ़ रुख करें:

3. अल्फ़ाज़ से शुरू करें:

4. सूरह फातिहा पढ़ें:

5. सूरह पढ़ें:

6. रुकू में जाएं:

7. सिज्दा करें:

8. दूसरा सिज्दा करें:

9. पहली रकअत को पूरा करें:

10. दूसरी रकअत:

11. अखिरी तशहुद:

12. सलाम:

8 फायदे Johar Ki Namaz पढ़ने के 

  1. अल्लाह की रजा:

और तुम अपनी नमाज़ को कायम रखो, क्योंकि नमाज़ अत्यधिक नफरत करने वाली चीज़ों से रोकती है। (क़ुरआन 29:45)

  1. गुनाहों की माफी:

नमाज़ पढ़ो, तो तुम्हारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे। (हदीस)

  1. रूहानी सुकून:

बेशक, अल्लाह का ज़िक्र ही दिलों को सुकून देता है। (क़ुरआन 13:28)

  1. अल्लाह का करीबी होना:

सबसे अच्छाकाम नमाज़ है, जो अल्लाह के सबसे करीब लाती है। (हदीस)

  1. दुआओं की क़बूलियत:

नमाज़ के बाद दुआ क़बूल होती है। (हदीस)

  1. समाजी जिम्मेदारी:

संस्थान में नमाज़ पढ़ने से भाईचारा और एकता बढ़ती है। (हदीस)

  1. सबर और संयम:

नमाज़ में सबर और संयम की विशेषता है। (क़ुरआन 2:153)

  1. आखिरत की तैयारी:

नमाज़ तुम्हें ज़िंदगी के महत्त्व को समझने में मदद करती है। (क़ुरआन 2:3)

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