अल्लाहुम्मा असुमु गदल्लक फग्फिरली माकद्दमतू वमा अखरतू .
रोजा रखने की दुआ (Sawm Dua) रमज़ान के महीने में रोजा रखने से पहले पढ़ी जाती है। यह दुआ रोजे के उद्देश्य और अल्लाह के साथ संबंध को स्पष्ट करती है। यहाँ पर रोजा रखने की दुआ का अरबी पाठ, ट्रांसलिटरेशन और हिंदी अनुवाद दिया गया है:
Sehri ki dua in Arabic| Roza rakhne ki dua Arabi me
“نويت صيام غدٍ عن أداء فرض رمضان لله تعالى.”
Sehri ki dua in English | Roza rakhne ki dua
“Nawaytu saumi ghadin ‘an ada’i fardhi Ramadan lillahi ta’ala.”
Roza rakhne ki dua in hindi
“मैंने कल के रोज़े का इरादा किया है, रमज़ान के फर्ज को अल्लाह तआला के लिए निभाने का।”
दुआ पढ़ने का तरीका:
- रोजा रखने से पहले: यह दुआ रोज़ा रखने से पहले, आमतौर पर सोते समय (सुबह से पहले) पढ़ी जाती है।
- मन की दृढ़ता: दुआ पढ़ते समय, आप रोज़ा रखने के इरादे और अल्लाह के प्रति अपनी निष्ठा को स्पष्ट करें।
महत्व:
- इरादा: इस दुआ के माध्यम से आप अपने रोजे का इरादा और नियत (नियति) अल्लाह के सामने स्पष्ट करते हैं।
- फर्ज: यह दुआ यह भी दर्शाती है कि आप रमज़ान के रोज़े को फर्ज (अनिवार्य) मानते हैं और उसे पूरी निष्ठा से निभाना चाहते हैं।