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मुलाकात में यह बात करे – Mulakat ki baat

मुलाकात को जाते वक़्त नियत करना जरुरी है . में आपनी इस्लाह की गरज से जा रहा हु सामने वाले को समझाऊंगा लेकिन फ़िक्र करूँगा जो बात में समजा रहा हु उसकी हकीकत मेरे अंदर बनाने के लिए हैं.

                अस्सलामु अलैकुम खैरियत तो है ? अल्लाह आपके जान और माल और उम्र में बरकत अता फरमाए हम एक फ़िक्र को लेकर आपके पास आये है वह ये है के हम दुनिया और आखिरत में कैसे कामियाब हो जाये .अल्लाह का बड़ा एहसान है फज़ल है करम है के उसने हमें मुसलमान के घर में पैदा किया और ईमान जैसी दौलत अता फरमाई और दोनों जहा की कमियाबी हासिल करने के लिए एक अजिमुशान दीन अता फरमाया अल्लाह का वादा है हम उस बन्दे को दोनों जहा में अपनी कुदरत से कामियाब करेंगे जिसके ज़िन्दगी में पूरा दीन होगा. दीन जिंदगी में मेहनत से आएगा. मेहनत में सबसे पहले ईमान की मेहनत है हुजुर स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने सहबा रजियल्लाहू अन्हु पर तक़रीबन १३ साल ईमान की मेहनत की .

            ईमान कहते है अल्लाह की जात और उसके सिफत पर यकीन करना यह कायनात और इसके अंदर  जितनी मख्लुकात है इन सब को अल्लाह ने अपने कुदरत से बनाया है. ये सारी मखलुकात हमारी खिदमत और जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई है . हमारा यकीन बताया है की अल्लाह की जात ऐसी कुदरती है की सब कुछ बगैर सब कुछ बना देती है . वो बनाने में किसी मख्लुक का मोहताज नहीं . लेकिन कायनात की सारी मख्लुकात हमारी जरूरियात को पूरा करने के लिए अल्लाह के हुक्म की मोहताज है. हयात और मौत , बीमारी और तंदरुस्ती , राहत और तकलीफ , इज्ज़त और ज़िल्लत , चैन और बेचैनि , कमियाबी और ना कमियाबी वगैरह .अल्लाह के फज़ल से मिलती है. अल्लाह के फैसले नेक अमल के सबब से हमारे मुआफिकात में होंगे अगर हमारे हालात बिगाडेगे. हम हमारे बिगड़े हुए हालात को माल और असबाब से बन्नने की कोशिश करेंगे .तो अंजाम के एतबार से मौत आ जाएगी लेकिन हालात नहीं बनेंगे .

            हालात का बनना बिगड़ना आमाल पर मौकूफ है.सारे आमाल में सबसे अहम् नमाज़ है . नमाज़ पर मेहनत कर कर मश्क कर कर नमाज़ को कायम करेंगे तो नमाज़ काबुल होंगी फिर अल्लाह हमारे दुआ को कबुल करेंगे और हमरी दुनिया और आखिरत दुआ के ज़रीय से बनेगी. नमाज के बातिन और जाहिर पर मेहनत और मश्क कर कर हकीकत वाली नमाज़ बनाना है .

            साहब राजियल्लाहू अन्हु ने ऐसी नमाज़ बनाई थी जिसके सबब से अल्लाह ने उन्हें दोनों जहा में कामियाब किया. इसी मेहनत को सिखने के लिए अपनी जान माल और वक्त को लेकर अगर हम अल्लाह के रास्ते में निकालेंगे और नफस के मुजाहिदे के साथ नहज (तरीका) और वसूलो की पाबंदी के साथ इस मेहनत को करेंगे तो अल्लाह अपनी कुदरत से हमारे ईमान और नमाज़ बनायेगे. इसी दोनों सिफत की मेहनत से इल्म हासिल करने का शौक पैदा होगा . इसी रस्ते से पूरा दीन हमारी जिंदगी में आएगा और जब जिंदगी में दीन आएगा तो जीना आसान और मरना भी आसान और आखिरत भी आसान हो जाएगी इसलिए सबसे पहले अपना तअल्लुक  मस्जिद से जुड़ जाए और हम अपने आपक को इस मेहनत में लगाये . इसलिए हम चाहते है की आप भी हमारे साथ मस्जिद में आए.

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