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Hajj ke Wajibat- हज के वाजिबात है

Hajj ke wajibat 6 wajibat hai.वाजिबात के लिये यह हुक्म है कि अगर इनमें से कोई वाजिब छूट जाये भूल से या जानबूझ कर तो हज तो हो जायेगा लेकिन इसके बदले दम लाज़िम होगा यानी क़ुरबानी करनी होगी या कुछ हालतों में सिर्फ़ सदक़ा देना होगा। यह बात ध्यान में रखनी ज़रूरी है कि बिला उज़्र वाजिब छोड़ने का गुनाह क़ुरबानी या सदक़े से माफ़ नहीं होता इसके लिये तौबा करनी भी ज़रूरी है।

हज के 6 वाजिबात यह हैं-

  1. वुक़ूफ़े मुज़दलफ़ा याने  मुज़दलफ़ा में ठहरना.
  2. सफ़ा व मरवा की सई करना :- सफ़ा व मरवा  के दरमियान दौड़ना इसको सई कहते हैं. सई को सफ़ा से शुरू करना। अगर उज़्र न हो तो पैदल सई करना, सई तवाफ़ के बाद होना।
  3. शैतान को कंकरिया मारना :- तीनों जमरात यानी शैतानों पर दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं तीनों दिन कंकरियाँ मारना यानी दसवीं को सिर्फ़ जमरतुल अक़बा पर और ग्यारहवीं, बारहवीं को तीनों पर रमी करना यानी कंकरियाँ मारना।
  4. कुर्बानी करना :- हज-ए-क़िरान व हज-ए-तमत्तो करने वाले का क़ुरबानी करना।
  5. बाल काटना :- सिर मुँडवाना या बाल कतरवाना।
  6. रुक्सत का तवाफ करना :- मीक़ात से बाहर के रहने वालों के लिए रुख़सत का तवाफ़ करना (तवाफे विदा करना), अगर हज करने वाली हैज़ या निफ़ास से है और तहारत से पहले क़ाफ़िला रवाना हो जाएगा तो उस पर तवाफ़-ए- रुख़सत नहीं।

मसअला: वाजिब के छोड़ने से दम लाज़िम आता है लेकिन कुछ वाजिब इस हुक्म से अलग हैं कि उनके छोड़ने पर दम लाज़िम नहीं जैसे– 

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