तालीम के मकसद और आदाब  – TALIM ke adaab

talim ke aadab

तालीम के मकसद और आदाब  

तालीम का मकसद :- हमारा दिल तासुर याने असर लेने वाला बन जाये.

  • ४ तासुर दिल से निकालना और ४ तासुर दिल में डालना.
  • माल का तासुर निकालकर – आमाल का तासुर आजाए .
  • नज़र का तासुर निकालकर – हुजुर स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के  खबर का तासुर आजाए.
  • दुनिया का तासुर निकालकर – आखिरत का तासुर आजाए.
  • मखलूक का तासुर निकालकर – खालिक का तासुर आजाए .

तालीम के आदाब :-

१. बा वजू बैठे 

२. खुशबू लगाकर बैठे  ३. २ रकात नफिल नमाज़ पढ़कर बैठेना.

४. नियत कर के बैठना. ५.कलाम और साहिबे कलाम के अजमत को दिल में लेकर बैठना ६.ध्यान, ७.अजमत , ८.मोहोब्बत, ९.अदब १०.तवज्जोह के साथ बैठे, ११.सहारा न लगाये, १२.बात न की जाये १३.तलीम के दौरान ना उठे.

१४.जमात में जाने के बाद २ बार ४ घंटे तालीम हो.

१५. मकाम पर तरतीब से १ घंटा तालीम हो.

१६. तालीम में अपनी तरफ से तकरीर ना हो.                               

१७. मुहम्मद स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम का नाम आये तो छोटा दरूद शरीफ पढेंगे .  

१८. जन्नत का तजकिरा आये तो दिल खुश हो और दोज़ख का तजकिरा आये तो दिल गमगीन हो.

१९. किताब पढने वाले को देखे या किताब की तरफ देखे .

२०. साथियों को मुतवज्जह करे छोटी हदीस ३  मर्तबा  पढ़े और बड़ी हदीस १ मर्तबा पढ़े और फायदे को १ मर्तबा पढा जाए ध्यान व् तवज्जोह के साथ बैठे .

२१. अमल की नियत से सुनना अमल करते हुए सारो तक पहुचाने की नियत से सुनना.

२२. तालीम के नूर से अमल की इस्तेदाद पैदा होगी.

२३. फ़ज़ाइले आमाल के जरिये दिल में दीन की सच्ची तलब और तड़प पैदा करना.

२४. वादे और वईद के ज़रिये इल्म व अमल में जोड पैदा करना .

२५. तालीम के मश्क से उम्मत का यकीन चीजों से निकलकर अल्लाह के हुकम के तरह आये.

तालीम के ३ हिस्से  :-  सुबह के तालीम के ३ हिस्से है १.कुरान के हलके २. फ़जाईल की किताबो  का पढना और सुनना ३. ६ सिफात का  मुज़करा करना.

. सुबह के तालीम में मुन्तखब अहादीस में फजाईले कुरान  पढ़कर कुरान के हलके लगाना. हलके लगाने का मकसद ये है की हमें हमारे गलतियों का एहसास हो जाये और एहसास हमको अमल पर डालेगा. हमारा कुरआन सही हो जाएगा.

२. उसके बाद मुन्तखब हदिस में से फज़ाईल की किताबो का पढना और सुनना है. ७ किताबो में से पढना और २ किताबे फजाईले रमजान और फजाईले हज मौसम के एतबार से पढना.

दरमियान में तालीमी गश्त करना. तालीमी गश्त का असल मकसद नकद तशकील करना याने बस्तीवालो को तालीम में शरीक करने की कोशिश करना है और तालीम का जो नूर मस्जिद में है तालीमी गश्त के जरिये बस्ती में फैलाया जाए. तालीम शुरू की जाये तो अपने में से २ साथी तालीमी गश्त के लिए भेजे. फिर कुछ देर बाद कुछ साथी भेजे. इस तरह बस्ती वालो को तालीम में शरीक करने की कोशिश करे.

. ६ सिफात का मुज़करा करना. यह करने से दिल पर असर होंगा और ६ सिफात ज़िन्दगी में लायेंगे तो पुरे दीन पर चलना आसन होगा.

दोपहर की तालीम में फजाईले आमाल और फ़जाइले सदकात पढ़े और फिर गुस्ल, वुजू, नमाज़ के फ़र्ज़ और सुन्नतो को सिखना

तालीम ख़त्म पर दुआ पढ़े:-  सुब्हानल्लाही व बिहम्दी ही सुब्हान कल्ला हुम्म व बिहम्दी क अशहदू  अल्ला इलाह इल्ला अन्त अस्तगफिरुक  व अतुबू  इलैक . सुब्हान रब्बिक रब्बिल इज्जती अम्मा यसिफून व् सलामुन आलल मुरसलीन वलहम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन.

ऐलान करने का तरीका :- भाइयो, बुजुर्गो और दोस्तों आपसे गुज़ारिश है की बकिया नमाज़/दुआ के बाद तशरीफ़ रखिये इंशाअल्लाह दीन की बात होंगी.तालीम का मकसद :- हमारा दिल तासुर याने असर लेने वाला बन जाये.

  • ४ तासुर दिल से निकालना और ४ तासुर दिल में डालना.
  • माल का तासुर निकालकर – आमाल का तासुर आजाए .
  • नज़र का तासुर निकालकर – हुजुर स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के  खबर का तासुर आजाए.
  • दुनिया का तासुर निकालकर – आखिरत का तासुर आजाए.
  • मखलूक का तासुर निकालकर – खालिक का तासुर आजाए .

तालीम के आदाब :-

१. बा वजू बैठे 

२. खुशबू लगाकर बैठे  ३. २ रकात नफिल नमाज़ पढ़कर बैठेना.

४. नियत कर के बैठना. ५.कलाम और साहिबे कलाम के अजमत को दिल में लेकर बैठना ६.ध्यान, ७.अजमत , ८.मोहोब्बत, ९.अदब १०.तवज्जोह के साथ बैठे, ११.सहारा न लगाये, १२.बात न की जाये १३.तलीम के दौरान ना उठे.

१४.जमात में जाने के बाद २ बार ४ घंटे तालीम हो.

१५. मकाम पर तरतीब से १ घंटा तालीम हो.

१६. तालीम में अपनी तरफ से तकरीर ना हो.                               

१७. मुहम्मद स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम का नाम आये तो छोटा दरूद शरीफ पढेंगे .  

१८. जन्नत का तजकिरा आये तो दिल खुश हो और दोज़ख का तजकिरा आये तो दिल गमगीन हो.

१९. किताब पढने वाले को देखे या किताब की तरफ देखे .

२०. साथियों को मुतवज्जह करे छोटी हदीस ३  मर्तबा  पढ़े और बड़ी हदीस १ मर्तबा पढ़े और फायदे को १ मर्तबा पढा जाए ध्यान व् तवज्जोह के साथ बैठे .

२१. अमल की नियत से सुनना अमल करते हुए सारो तक पहुचाने की नियत से सुनना.

२२. तालीम के नूर से अमल की इस्तेदाद पैदा होगी.

२३. फ़ज़ाइले आमाल के जरिये दिल में दीन की सच्ची तलब और तड़प पैदा करना.

२४. वादे और वईद के ज़रिये इल्म व अमल में जोड पैदा करना .

२५. तालीम के मश्क से उम्मत का यकीन चीजों से निकलकर अल्लाह के हुकम के तरह आये.

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तालीम के ३ हिस्से  :- 

सुबह के तालीम के ३ हिस्से है १.कुरान के हलके २. फ़जाईल की किताबो  का पढना और सुनना ३. ६ सिफात का  मुज़करा करना.

. सुबह के तालीम में मुन्तखब अहादीस में फजाईले कुरान  पढ़कर कुरान के हलके लगाना. हलके लगाने का मकसद ये है की हमें हमारे गलतियों का एहसास हो जाये और एहसास हमको अमल पर डालेगा. हमारा कुरआन सही हो जाएगा.

२. उसके बाद मुन्तखब हदिस में से फज़ाईल की किताबो का पढना और सुनना है. ७ किताबो में से पढना और २ किताबे फजाईले रमजान और फजाईले हज मौसम के एतबार से पढना.

दरमियान में तालीमी गश्त करना. तालीमी गश्त का असल मकसद नकद तशकील करना याने बस्तीवालो को तालीम में शरीक करने की कोशिश करना है और तालीम का जो नूर मस्जिद में है तालीमी गश्त के जरिये बस्ती में फैलाया जाए. तालीम शुरू की जाये तो अपने में से २ साथी तालीमी गश्त के लिए भेजे. फिर कुछ देर बाद कुछ साथी भेजे. इस तरह बस्ती वालो को तालीम में शरीक करने की कोशिश करे.

. ६ सिफात का मुज़करा करना. यह करने से दिल पर असर होंगा और ६ सिफात ज़िन्दगी में लायेंगे तो पुरे दीन पर चलना आसन होगा.

दोपहर की तालीम में फजाईले आमाल और फ़जाइले सदकात पढ़े और फिर गुस्ल, वुजू, नमाज़ के फ़र्ज़ और सुन्नतो को सिखना

तालीम ख़त्म पर दुआ पढ़े:-  सुब्हानल्लाही व बिहम्दी ही सुब्हान कल्ला हुम्म व बिहम्दी क अशहदू  अल्ला इलाह इल्ला अन्त अस्तगफिरुक  व अतुबू  इलैक . सुब्हान रब्बिक रब्बिल इज्जती अम्मा यसिफून व् सलामुन आलल मुरसलीन वलहम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन.

ऐलान करने का तरीका :-

भाइयो, बुजुर्गो और दोस्तों आपसे गुज़ारिश है की बकिया नमाज़/दुआ के बाद तशरीफ़ रखिये इंशाअल्लाह दीन की बात होंगी.

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