आज हम इस पोस्ट में balaghal ula be kamalehi naat lyrics के बारे में गहराई से बात करेंगे। यह नात अपने रूहानी अल्फाज़ और दिल को छू लेने वाली तासीर के लिए मशहूर है। अगर आप अपनी रूह को सुकून और दिल को सच्ची राहत देना चाहते हैं, तो इस नात के हर बोल को दिल से महसूस करें। अभी सुनें और इस खूबसूरत एहसास का हिस्सा बनें।
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balaghal ula be kamalehi naat lyrics हिंदी में
बलग़ल उला बि-कमालिहि
सर-ए-ला-मकाँ से तलब हुई
सू-ए-मुंतहा वो चले नबी
कोई हद है उन के ‘उरूज की
बलग़ल-‘उला बि-कमालिहि
बलग़ल-‘उला बि-कमालिहि
कशफ़-द्दुजा बि-जमालिहि
हसुनत जमी’उ ख़िसालिहि
सल्लू ‘अलैहि व आलिहि
वही ला-मकाँ के मकीं हुए
सर-ए-‘अर्श तख़्त-नशीं हुए
वो नबी हैं जिस के हैं ये मकाँ
वो ख़ुदा है जिस का मकाँ नहीं
सर-ए-‘अर्श पर है तेरी गुज़र
दिल-ए-फ़र्श पर है तेरी नज़र
मलकूत-मुल्क में कोई शय
नहीं वो जो तुझ पे अयाँ नहीं
वो ख़ुदा के नूर को देख कर
भी जहान वालों में आ गए
सर-ए-‘अर्श जाना कमाल था
कि वहाँ से आना कमाल है
रुख़-ए-मुस्तफ़ा की ये रौशनी
ये तजल्लियों की हमाहमी
कि हर एक चीज़ चमक उठी
कशफ़-द्दुजा बि-जमालिहि
वो सरापा रहमत-ए-किब्रिया
कि हर इक पे उन का करम हुआ
ये कलाम-ए-पाक है बरमला
हसुनत जमी’उ ख़िसालिहि
ये कमाल-ए-ख़ुल्क़-ए-मुहम्मदी
कि हर इक पे चश्म-ए-करम रही
सर-ए-हश्र ना’रा-ए-उम्मती
हसुनत जमी’उ ख़िसालिहि
वही हक़-निगर, वही हक़-नुमा
रुख़-ए-मुस्तफ़ा है वो आईना
कि ख़ुदा-ए-पाक ने ख़ुद कहा
सल्लू ‘अलैहि व आलिहि
मेरा दीन, ‘अंबर-ए-वारसी !
ब-ख़ुदा है ‘इश्क़-ए-मुहम्मदी
मेरा ज़िक्र-ओ-फ़िक्र है बस यही
सल्लू ‘अलैहि व आलिहि
ऐ मज़हर-ए-नूर-ए-ख़ुदा !
बलग़ल-‘उला बि-कमालिहि
मौला ‘अली मुश्किल-कुशा
कशफ़-द्दुजा बि-जमालिहि
हसनैन जान-ए-फ़ातिमा
हसुनत जमी’उ ख़िसालिहि
या’नी मुहम्मद मुस्तफ़ा
सल्लू ‘अलैहि व आलिहि
ये नात अच्छी लगती है तो ये भी पढ़े Unka Mangta Hu Jo Mangta Nahi Hone Dete Naat Lyrics –Naat
Naat “Balaghal Ula Be Kamalehi” को हज़रत शेख सादी शिराज़ी (رحمت اللہ علیہ) ने लिखा है
balaghal ula be kamalehi naat lyrics English
Balaghal Ula Bi-Kamalihi
Sar-e-Lamakaan Se Talab Hui
Soo-e-Muntahaa Wo Chale Nabi
Koi Had Hai Un Ke ‘Urooj Ki
Balaghal-‘Ula Bi-Kamalihi
Balaghal-‘Ula Bi-Kamalihi
Kashf-Dduja Bi-Jamalihi
Hasunat Jami’ Khisaalihi
Sallu ‘Alaihi Wa Aalihi
Wahi La-Makaan Ke Makeen Hue
Sar-e-‘Arsh Takht-Nasheen Hue
Wo Nabi Hain Jis Ke Hain Ye Makaan
Wo Khuda Hai Jis Ka Makaan Nahin
Sar-e-‘Arsh Par Hai Teri Guzar
Dil-e-Farsh Par Hai Teri Nazar
Malakoot-Mulk Mein Koi Shai
Nahin Wo Jo Tujh Pe Ayaan Nahin
Wo Khuda Ke Noor Ko Dekh Kar
Bhi Jahaan Walon Mein Aa Gaye
Sar-e-‘Arsh Jana Kamal Tha
Ke Wahan Se Aana Kamal Hai
Rukh-e-Mustafa Ki Ye Roshni
Ye Tajalliyon Ki Hamahami
Ke Har Ek Cheez Chamak Uthi
Kashf-Dduja Bi-Jamalihi
Wo Sarapa Rahmat-e-Kibria
Ke Har Ik Pe Un Ka Karam Hua
Ye Kalaam-e-Paak Hai Baramala
Hasunat Jami’ Khisaalihi
Ye Kamal-e-Khulq-e-Muhammadi
Ke Har Ik Pe Chashm-e-Karam Rahi
Sar-e-Hashr Na’ra-e-Ummati
Hasunat Jami’ Khisaalihi
Wahi Haq-Nigar, Wahi Haq-Numa
Rukh-e-Mustafa Hai Wo Aaina
Ke Khuda-e-Paak Ne Khud Kaha
Sallu ‘Alaihi Wa Aalihi
Mera Deen, ‘Ambar-e-Warsi!
B-Khuda Hai ‘Ishq-e-Muhammadi
Mera Zikr-O-Fikr Hai Bas Yehi
Sallu ‘Alaihi Wa Aalihi
Ae Mazhar-e-Noor-e-Khuda!
Balaghal-‘Ula Bi-Kamalihi
Mawla ‘Ali Mushkil-Kusha
Kashf-Dduja Bi-Jamalihi
Hasnain Jaan-e-Fatima
Hasunat Jami’ Khisaalihi
Ya’ni Muhammad Mustafa
Sallu ‘Alaihi Wa Aalihi
- हज़रत शेख सादी शिराज़ी एक मशहूर फ़ारसी शायर थे।
- उन्होंने अपनी ज़िन्दगी इस्लाम के तालीमात और प्यार के पैग़ाम को फैलाने में गुज़ारी।
- यह नात उनकी मोहब्बत और इज़्ज़त का इज़हार है नबी-ए-करीम ﷺ के लिए।
- हज़रत शेख सादी शिराज़ी की इस नात को सुनते ही आपके दिल को सुकून और रूह को तसकीन मिलती है।
हमें यकीन है कि इस पोस्ट को पढ़कर आपने balaghal ula be kamalehi naat lyrics की गहराई और हुस्न को महसूस किया होगा। इस नात के अल्फाज़ नबी-ए-करीम ﷺ से मोहब्बत का बेहतरीन इज़हार हैं। अगर आप और भी ऐसी रूहानी बातें जानना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें और इस सफर का हिस्सा बनें।
balaghal ula be kamalehi naat lyrics से जुरे तथ्य
Balaghal Ula Be Kamalehi किसने लिखा है?
ये नात हज़रत शेख सादी शिराज़ी (رحمت اللہ علیہ) ने लिखी है, जो एक प्रसिद्ध फ़ारसी शायर थे।
Balaghal Ula Be Kamalehi किस बारे में है?
इस नात में नबी-ए-करीम ﷺ की तारीफ और उनकी महानता के बारे में लिखा गया है। इसमें उनके प्यारे गुण और शान का जिक्र है।
इस नात को कब और कहां सुना जाता है?
यह नात धार्मिक मौकों, इस्लामिक त्योहारों, और मोमिनों की सभाओं में गाई जाती है।
Balaghal Ula Be Kamalehi सुनने से क्या असर होता है?
इस नात को सुनने से दिल और रूह को सुकून मिलता है। यह नबी-ए-करीम ﷺ के प्रति मोहब्बत और श्रद्धा बढ़ाती है।
इस नात के शब्दों की खासियत क्या है?
इसके शब्द दिल को छूने वाले और रूहानी होते हैं, जो सुनने वाले को मानसिक शांति और तसकीन प्रदान करते हैं।