अस्सलामु अलैकुम, आज की पोस्ट में हम Namaz Ke Baad Ki Dua के तमाम पहलुओं पर बात करेंगे। अगर आपको Namaz Ke Baad Ki Dua के बारे में पूरी मालूमात चाहिए, तो पोस्ट को पूरा पढ़ें।
नमाज़ के बाद की दुआएं एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो अल्लाह की रहमत और बरकत हासिल करने का जरिया बनती हैं। आइए जानते हैं नमाज़ के बाद पढ़ी जाने वाली कुछ अहम दुआएं, जिन्हें सही हदीसों से साबित किया गया है:
1. अल्लाहु अकबर (1 मर्तबा)
- तर्जुमा: अल्लाह सबसे बड़ा है।
- दलील: अब्दुल्लाह इब्न अब्बास (रजी.) रिवायत करते हैं कि अल्लाह के नबी (ﷺ) नमाज मुकम्मल करते ही एक मर्तबा थोड़ी बुलंद आवाज से अल्लाहु अकबर कहते थे।
(सही बुखारी – 842)
2. असतगफिरुल्लाह (3 मर्तबा)
- तर्जुमा: मैं अल्लाह से बक्शीश मांगता हूँ।
- अल्लाहुम्मा अनतस सलाम व मिनकस सलाम तबारकता या जलजलाली वल इकराम (1 मर्तबा)
- तर्जुमा: ऐ अल्लाह, तू सलामती वाला है और तुझसे सलामती है, तू बरकत वाला है, ऐ बुजुर्गी और इज्जत वाले।
- दलील: हजरत सौबान रिवायत करते हैं कि अल्लाह के नबी (ﷺ) नमाज के बाद यह कलीमात कहते थे।
(सही मुस्लिम – 591)
3. आयतुल कुर्सी (1 मर्तबा)
- तर्जुमा: अल्लाह ही वो ज़ात है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं, वह जिंदा है और सभी का पालनहार है।
(आयत का तर्जुमा विस्तृत है) - दलील: अबु उमामा रिवायत करते हैं कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया, जो हर नमाज के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ेगा, वो मरते ही जन्नत में दाखिल होगा।
(सुनन अन-नसाई – 9928)
4. रब्बी अयनी आला जिक्रिका (1 मर्तबा)
- तर्जुमा: ऐ रब, मेरी मदद कर कि मैं तेरा ज़िक्र, शुक्र और अच्छी तरह इबादत करता रहूं।
- दलील: मआज़ बिन जबल से रसूलल्लाह (ﷺ) ने वसीयत फरमाई कि हर नमाज के आखिर में यह दुआ पढ़ना न भूलें।
(सुनन अबु दाऊद – 1522)
5. रब्बना आतयना (1 मर्तबा)
- तर्जुमा: ऐ हमारे रब, हमें दुनिया और आख़िरत में भलाई दे, और हमें आग के अजाब से बचा।
- दलील: हजरत अनस इब्न मालिक रिवायत करते हैं कि रसूलल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ पढ़ते थे।
(सही बुखारी – 6389)
6. ला इलाहा इलल्लाहु (3 मर्तबा)
- तर्जुमा: नहीं है कोई माबूद अल्लाह के सिवा, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं।
- दलील: मुगिरह इब्न शौबाह रिवायत करते हैं कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) हर नमाज के बाद इसे तीन बार पढ़ते थे।
(सही बुखारी – 6473)
7. सूरह इखलास, फलक, नास (1 मर्तबा)
- दलील: उकबा बिन आमिर रिवायत करते हैं कि रसूलल्लाह (ﷺ) ने हर नमाज के बाद यह सुरतें पढ़ने का हुक्म दिया ताकि जिन्न और शैतान से हिफाजत हो।
(जामिया तिरमिजी – 2903)
8. सुब्हानल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर (33, 33, 34 मर्तबा)
- दलील: अबु हुरैरा रिवायत करते हैं कि यह तस्बीह पढ़ने से बन्दा कभी नाकाम नहीं होता और उसके गुनाह माफ हो जाते हैं।
(सही बुखारी – 843)
9. अल्लाहुम्मा अजिरनी मिन अन्नार (7 मर्तबा)
- तर्जुमा: ऐ अल्लाह, मुझे जहन्नुम की आग से बचा।
- दलील: अबु हारिस रिवायत करते हैं कि अगर कोई बंदा यह दुआ पढ़े और उसी दिन उसका इंतकाल हो जाए, तो वो जहन्नुम की आग से बचा रहेगा।
(अबु दाऊद – 5079)
10. अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका इलमन नाफिअ (1 मर्तबा)
- तर्जुमा: ऐ अल्लाह, मैं तुझसे मुफीद इल्म, पाकीजा रिज़्क और मकबूल अमल की दुआ करता हूँ।
- दलील: सय्यदा उम्मे सलमा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) फज्र की नमाज के बाद यह दुआ पढ़ते थे।
(सुनन इब्न माझाह – 925)
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हमें यकीन है कि हमारे इस पोस्ट Namaz Ke Baad Ki Dua ने आपके तमाम सवालों के जवाब दे दिए होंगे। अगर आपके कोई और सवाल हैं तो कमेंट में ज़रूर पूछें, और इसी तरह की पोस्ट पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें।
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FAQ
नमाज़ पढ़ने के बाद कौन सी दुआ पढ़ी जाती है?
नमाज़ के बाद अक्सर यह दुआ पढ़ी जाती है:
अस्तग़फ़िरुल्लाह (3 मर्तबा), जिसका मतलब है, मैं अल्लाह से बख़्शिश मांगता हूँ। इसके बाद यह दुआ भी पढ़ी जाती है:
अल्लाहुम्मा अनतस सलाम व मिनकस सलाम, तबारकता या जलजलाली वल इकराम
(तर्जुमा: ऐ अल्लाह, तू सलामती वाला है और तुझसे सलामती आती है, तू बुजुर्गी और इज्ज़त वाला है।)
नमाज़ में रुकू में क्या पढ़ा जाता है?
रुकू में यह तस्बीह पढ़ी जाती है:
सुब्हाना रब्बियाल अज़ीम
(तर्जुमा: मेरा रब अज़ीम है और वो पाक है)।