उमूमी बात – Umoomi baat- Magirb ke baad

नहमदुहू व नुसल्ली आला रसुलीहिल करीम अम्मा बाद .अऊजु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाहिर्रेहमानिर्रहीम. रब्बीश रहली सदरी व यस्सिरली अम्री वहलुल उक्दतम मिल्लिसानी यफ कहु कौली.

भाईयो, दोस्तों, बुजुर्गो और साथीयो अस्सलामु अलैकुम व रेहमतुल्लाही व बरकातूहु एक बार दरूद शरीफ पढ़ लिजिए.

अल्लाह तआला का बहुत बड़ा एहसान हुआ की अल्लाह ने मुझे और आपको मग़रिब की नमाज़ बा जमात पढने की तौफीक अता फरमाई और साथ साथ अल्लाह के दीन की बा बरकत मजलिस में गौर फिकर के साथ बैठना आसन अता फ़रमाया .जहा पर भी दीन की ऐसी मजलिस लगती है उसे अल्लाह के मासुम फ़रिश्ते चारो तरफ से  मजलिस को घेर लेते है .उनकी कतार आसमान तक लगती है .मजलिस ख़तम होने पर १ फ़रिश्ता ऐलान करता है की ए मजलिस में बैठने वालो अल्लाह ने तुम्हारी मग्फिरत कर दी और तुम्हारे गुनाह को नेकीयो में बदल दिए . अल्लाह इसका यकीन हमारे दिलो में उतारे और यह मजलिस आसमान वालो को ऐसी नज़र आती है जैसे जमीन वालो को आसमान में चमकते हुए तारे सिर्फ मज्लिस में बैठने पर अल्लाह के तरफ से गुनाहो को माफ़ करने का वादा है , तो देखो भाईयो फिर ऐसे मजलिस में बैठना चाहिए क्या नाही ?  अल्लाह तआला एसे मजलिस में बार बार बैठने की तौफीक आता फरमाए .

बुजुर्गो, दोस्तों और साथियो मेरी और आपकी कामियाबी अल्लाह ने इस मुबारक दीन में रखी है जिसके जिंदगी  में दीन होगा वो दुनिया में भी कामियाब होगा और आखिरत में भी कामियाब होगा. दीन क्या है ? अल्लाह का हुकुम और मुहम्मद स. का सुन्नत तरीका.

दीन मेहनत से जिंदगी में आता है जिस के जिंदगी  में दीन होगा उसे अमल करना आसान होता है . दीन असल में बरतने(इस्तेमाल करने)का नाम है .जिंदगी में दीन होंगा तोह अल्लाह तआला दुनिया की कमियाबी यानी दिलो में सुकून, चैन, इतमिनान, राहत, इज्ज़त, आफियत, रोजी और दुआओं को कुबूल फरमाएंगे मरने के बाद की कमियाबी यानी कबर को अल्लाह जन्नत का बाग़ बना देंगे. मुनकिर नकिर के सवालात आसान फरमाएंगे, अपने अर्श का साया अता फरमाएंगे ,जहन्नम से बचाकर जन्नत में दाखला नसीब फरमाएंगे.

            एक हदीस पाक का खुलासा है हज़रत अबू हुरैरह रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया की ईमान की ७० से ज्यादा शाखे है.उनमे सबसे अफज़ल शाख ला ईलाहा इल्लल्लाह का कहना है और अदना शाख तकलीफ देने वाले चीजों का रास्ते से हटाना है और हया ईमान की एक आहम शाख है.

            एक हदीस पाक का खुलासा है,  हज़रत उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया खत्ताब के बेटे ! जाओ लोगो में ये एलान करदो की जन्नत में सिर्फ ईमान वाले ही दाखिल होंगे .

                   इसीके के साथ साथ अपनी नमाज़ को जानदार बनाना है. जिस तरह हम नमाज़ में अल्लाह  के हुकुम और नबी स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के सुन्नत के पाबन्द है उसी तरह हमारी २४ घंटे वाले जिंदगी  अल्लाह के हुकुम और नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के तरीको पे आजाए.

एक हदीस पाक का खुलासा है हज़रत अनस रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया मेरी आँखों की ठंडक नमाज़ में है.                               हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की नबी करीम स. ने इर्शाद फ़रमाया जन्नत की कुंजी नमाज़ है और नमाज़ की कुंजी वुजू है .

            हज़रत उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया नमाज़ दीन का सुतून है.

नमाज़ के साथ साथ इल्म होना ज़रुरी है. हर ईमान वाले को कम से कम इतना जानना है की हलाल और हराम की पहचान हो जाये. हाल के अम्र को पहचानने वाले बन जाये.

            एक हदीस पाक का खुलासा है ,हज़रत उस्मान बिन अफ्फान रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : तुममें सबसे बेहतर शख्स वह है जो कुरआन शरीफ सीखे और दुसरो को सिखाए .

हजरत अबू हुरैरह रजियल्लाहु अन्हु फरमाते है की मैंने अबू कासिम को यह इर्शाद फरमाते हुए सुना  : तुममें सबसे बेहतर वे लोग है , जो तुममें सबसे अच्छे अखलाक वाले है जब की साथ – साथ उनमे दीन की समझ भी हो .

हज़रत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : लोगो को दीन सिखाओ , उन के साथ आसानी का बरताव करो और सख्ती का बर्ताव न करो .

इल्म के साथ साथ जिक्र भी है

एक हदीस पाक का खुलासा है की, हज़रत सहल बिन हुन्नैफ़  रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया मजलिस का हक अदा किया करो उसमे से एक यह है की अल्लाह तआला का ज़िक्र कसरत से करो .

एक हदीस पाक का खुलासा है की हज़रत अबू सईद खुदरी रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया बहोत से लोग ऐसे है जो नर्म नर्म बिस्तर पे अल्लाह ताआला का ज़िक्र करते है.  अल्लाह तआला उस ज़िक्र की बरकत से उनको जन्नत में आला दर्जो में पोहोचा देते है .

ईमान वालो का इकराम करना है अपने अखलाक और मामलात को सही करे.अपने हक को दबाकर दुसरो के हुकूक अदा करना और रसूल स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के अखलाक हमारे अंदर आ जाये याने हर एक से अच्छा सुलूक करना है .

एक हदीस पाक का खुलासा है ,हजरत अबू हुरैरह रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : जो मुसलमान की लग्जिश को माफ़ करे, अल्लाह तआला कियामत के दीन उसकी लग्जिश को माफ़ फरमायेंगे.

हजरत बरा रजियल्लाहु अन्हु रिवायत है करते है कि रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : जो दो मुसलमान आपस में मिलते है और मुसाफा करते है तो जुदा होने से पहले दोनों के गुनाह माफ़ कर दिए जाते है.

इसके साथ साथ अपनी नियतो को दुरुस्त करना है.  हम जो भी नेक अमल करे सिर्फ अल्लाह को राजी करने के लिए करे.

हजरत अबू मसउद रजियल्लाहु अन्हु  रिवायत करते है रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : जब आदमी अपने घर वालो पर सवाब की नीयत से खर्च करता है (उस खर्च करने से ) उसको सदके का सवाब मिलता है .

इस दीन के खातिर अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम से लेकर आखरी नबी मुहम्मद स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम तक कम पेश १ लाख २४  हज़ार नबियो को इस दुनिया में भेजा . अल्लाह ने हर नबी को वही के ज़रिये एक अल्लाह के इबादत की दावत दि साथ साथ नेक काम करने की और बुरे काम से बचने की दावत दि है .

सारे नबीयो की तकलीफ १ पलड़े में डाली जाये और हमारे नबी स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम इनकी तकलीफ १ पलड़े में डाली जाये तो हमारे नबी का पलड़ा झुक जायेगा .हमारे नबी की फिकर थी की पुरे आलम में हर कच्चे पक्के मकान में अल्लाह का दीन पोहचे और हर ईमान वाला जन्नत में कैसा जाने वाला बने. अल्लाह तआला गुज़रे हुए ज़माने में आदम अलैहिस्सलाम से लेकर आखरी नबी मुहम्मद स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम तक एक अल्लाह की इबादत करने की दावत देने और नेक कामो का हुकुम करने और बुरे कामो से बचने के लिए नबियो को भेजा करते थे. साहब इकराम अपना घर दार बीवी बच्चे सब कुछ छोड़कर यहां तक के मक्का मदीना जैसे शहर को भी छोड़कर दींन की मेहनत के लिए पूरी ज़िन्दगी अल्लाह के रास्ते में गुज़री और पुरे दुनिया में फ़ैल गए. जब जाकर यह दीन हम तक पोहोचा है .तब जाकर हम ईमान वाले मुसलमान कहलाते है. अभी कोई नबी आने वाले नहीं .

नबूवत का दरवाज़ा बंद हो चुका है अल्लाह तआला ने इस काम को उम्मते मोहम्मदिया के सुपुर्द  किया है ये दीन का काम हर ईमान वाले के ज़िममे है.

हजरत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : जब तुम से अल्लाह तआला के रास्ते से निकलने को कहा जाए ,तो तुम निकल जाया करो.

          हजरत अबू हुरैरह रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है नबी करीम स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह तआला के रास्ते में थोड़ी देर खड़ा रहना शबे कद्र में हज्रे अस्वद  के सामने इबादत करने से बेहतर है.

अब आगे हमारी ज़िन्दगी में दीन बाकी रहे , हमारी नस्लों की जिंदगी में दीन बाकि रहे और हमारे जान और माल का सही इस्तेमाल हो जाये इसलिए हमे अल्लाह के रास्ते में निकलना है. तो बताओ भाई १.४ महीने के लिए कौन कौन तैयार है ?२. ४० दिन चिल्ला के लिए कौन तैयार है ?३. ३ दिन के लिए कौन तैयार है ? ४. सब लोग इरादा करते है ?

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मकामी काम करने की तरगीब

  1. मशवरा:
    • सभी सदस्यों के साथ नियमित चर्चा और सलाह-मशवरा करना।
  2. ढाई घंटे की मेहनत:
    • सप्ताह में कम से कम ढाई घंटे का समय काम करने के लिए निर्धारित करना।
  3. तालीम (मस्जिद और घर की):
    • मस्जिद और घर दोनों में धार्मिक शिक्षा का महत्व समझाना और इसे लागू करना।
  4. गश्त:
    • अपने और पड़ोस की मस्जिदों की गश्त करना, ताकि समुदाय के लोगों से संपर्क बना रहे।
  5. महीने में ३ दीन और मरकज़ पे तआम कियाम के साथ पोहोचना:
    • महीने में तीन बार धार्मिक केंद्रों पर पहुंचना और समुदाय की गतिविधियों में भाग लेना।
  6. मस्तुरात को हफ्तेवारी इजस्तेमा में पोहोचाना:
    • महिलाओं को साप्ताहिक इजतेमा में शामिल करना, ताकि उनकी भागीदारी बढ़े।
  7. बच्चों को मकतब में पोहचना:
    • बच्चों को धार्मिक शिक्षा के लिए मकतब भेजना।

घर में ५ आमाल के साथ तालीम

  1. कुरआन को सिखने के हलके:
    • परिवार के सदस्यों के साथ कुरआन की शिक्षा का हलका बनाना।
  2. किताबी तालीम:
    • किताबों के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा देना।
  3. ६ सिफात का मुज़ाकरा:
    • अच्छे आचरण और सिफात पर चर्चा करना।
  4. तश्कील:
    • नियमित रूप से तश्कील (योजना बनाना) करना।
  5. मशवरा:
    • परिवार के सभी सदस्यों के साथ समय-समय पर मशवरा करना।

आखिर में दुआ करे.

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