
१.वापसी पर भी नियत दुरुस्त करे – अल्लाह के रास्ते में हमारा जो वक़्त लगा ये अल्लाह के चाहने से लगा है.
२.अल्लाह के रास्ते के फ़जाईल बयान करना – जब हम जामत में थे तो हम फारिग थे ये हमारे लिए सारे काम करना आसन था जैसे की सारे काम आसानी से करते थे. मुकाम पर आये तो यह मश्गुली है फिर भी जम कर दीन का काम करना है.अल्लाह के नबी स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम जब लश्कर की वापसी होती तो फरमाते के जिहादे असगर (छोटा जिहाद) से जिहादे अकबर (बड़ा जिहाद) की तरफ हम जा रहे है. अपने नफ्स पर काबू करना
३.मकामी मेहनत की तरगीब देना – ५ आमाल पर जमना
४.अपने इनफ्रादी आमाल की तरगीब देना.
५. शब् गुजारी की तरगीब देना.
६.महाना जोड़ की तरगीब देना.
७.मकामी छोटे जमाते उसमे शरीक होकर मकामी मेहनत करना.
कारगुजारी लेना :- फायदा क्या हुआ , क्या याद हुआ , मस्तुरात को हफ्तेवारी के तालीम के लिए भेजना.
वापसी की दुआ होने चाहिए – गलती कोताही अल्लाह से दुआ कर के माफ़ी माँगना.