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Dua e Noor का तिलावत करने से आपकी ज़िंदगी में रोशनी और खुशी आ सकती है। इस दुआ के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमारे लेख को पढ़ें और जानें कि कैसे Dua e Noor आपकी इबादत को असर दार बना सकती है।
Dua e Noor कुरान और हदीस की रोशनी में
Dua e Noor एक खास दुआ है जो रोशनी और बरकत के लिए पढ़ी जाती है। इस दुआ का ज़िक्र कुरान और हदीस में भी मिलता है:
Dua e Noor कुरान और हदीस की रोशनी में:
कुरान: Dua e Noor का ज़िक्र कुरान में वैसे नहीं है, लेकिन इस दुआ का असर और रोशनी का कांसेप्ट कुरान की आयत से मिलता है, जहाँ अल्लाह की रोशनी का ज़िक्र है। जैसे कि सूरह अन नूर (24:35) में: “अल्लाह नूरुस्समावाती वल आरद” “अल्लाह आसमान और ज़मीन की रोशनी है।”
हदीस: हदीस में भी इस दुआ का ज़िक्र मिलता है, जहाँ ये दुआ रसूल अल्लाह (स.अ.व) से रिवायत है। इस दुआ को पढ़ने से रोशनी और हिकमत की दुआ की जाती है।
Dua e Noor की तिलावत:
रोमन हिंदी: Allahumma bi noorika al ladhi afsha fi as samaawat wa al ard
हिंदी: अल्लाहुम्मा बी नूरीका अल लधि अफ्शा फी अस समाawat वा अल आर्द
हिंदी: “अल्लाह, आपके उस रोशनी के साथ, जो आकाशों और धरती में फैली है।”
Dua e Noor के फायदें:
यह दुआ रोशनी और बरकत के लिए पढ़ने से इंसान के ज़िन्दगी में खुशी और हिम्मत आती है।
इस दुआ का तिलावत करने से इंसान के दिल को सुकून और रहमत मिलती है।
इस दुआ को रोज़ाना पढ़ने से इंसान की ज़िन्दगी में रोशनी और बरकत आती है और अल्लाह की मदद और हिफाज़त बढ़ती है।
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