HomeDaawat aur TablighGasht ki baat | Fazail e Gasht | Gasht ke Adab

Gasht ki baat | Fazail e Gasht | Gasht ke Adab

नहमदुहू व नुसल्ली आला रसुलीहिल करीम अम्मा बाद .अऊजु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाहिर्रेहमानिर्रहिम. रब्बीश रहली सदरी व यस्सिरली अम्री वहलुल उक्दतम मिल्लिसानी यफ कहु कौली. Gasht 5 Tarah ke Hai

भाईयो, दोस्तों, बुजुर्गो और साथीयो अस्सलामु अलैकुम व् रेह्मतुल्लाही व बरकातूहु.एक बार दरूद शरीफ पढ़ लिजिए. अल्लाह तआला का बहुत बड़ा एहसान हुआ की अल्लाह ने मुझे और आपको असर की नमाज़ बा जमात पढने की तौफीक अता फरमाई और साथ साथ अल्लाह के दीन की बा बरकत मजलिस में गौर फिकर के साथ बैठना आसन अता फ़रमाया .जहा पर भी दीन की ऐसी मजलिस लगती है उसे अल्लाह के मासुम फ़रिश्ते चारो तरफ से मजलिस को घेर लेते है .उनकी कतार आसमान तक लगती है .मजलिस ख़तम होने पर १ फ़रिश्ता एलान करता है की ए मजलिस में बैठने वालो अल्लाह ने तुम्हारी मग्फिरत कर दी और तुम्हारे गुनाह को नेकी में तब्दील कर दिए यानी नेकियों में बदल दिए अल्लाह इसका यकीन हमारे दिलो में उतारे और यह मजलिस आसमान वालो को ऐसी नज़र आती है जैसे जमीन वालो को आसमान में चमकते हुए तारे सिर्फ मजलिस में बैठने पर अल्लाह के तरफ से गुनाहो को माफ़ करने का वादा है , तो देखो भाईयो फिर ऐसे मजलिस में बैठना चाहिए क्या नाही ? अल्लाह तआला एसे मजलिस में बार बार बैठने की तौफीक आता फरमाए .

बुजुर्गो और साथियों मेरी और आपकी और पुरे उम्मते मुहम्मदिया की कमियाबी अल्लाह ने इस दीन में रखी है जिसके जिंदगी में दीन होगा वो दुनिया में भीं कामियाब होंगा और आखिरत में भी कामियाब होंगा . दीन मेहनत से जिंदगी में आता है जिसके जिंदगी में दीन होंगा उसे अमल करना आसान होता है .अभी जो हमारे सामने अमल आरा है वह गश्त वाला अमल है .यह अमल सारे नबियो की सुन्नत है हमारे नबी जनाब रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम ने भी यह अमल दीन के खातिर मक्का के गलियों में बाजारों में हाजी के काफिलो में मदीना के गलियों में और बाजारों में अल्लाह के नबी गश्त करते थे . अल्लाह से बिछड़े बन्दों को अल्लाह के तरफ बुलाये . इसमें एक कदम चलने से ७०० कदम चलने का सवाब मिलता है . १ मर्तबा सुब्हानल्लाह कहेंगे तो ७ लाख मर्तबा सुब्हानल्लाह कहने का सवाब मिलेगा . इस रास्ते का गर्द व् गुबार जहन्नम की आग तो क्या उसका धुँआ भी नहीं छु सकेगा . गश्त वाला अमल दीन के काम में रीड की हड्डी के बराबर है .अल्लाह तआला जब भी दुनिया के अंदर आजाब भेजने का इरादा करते तो इस गश्त वाले अमल के वजह से आजाब को रोकते है, अगर यह अमल सही फिकरो के साथ होंगा तो दावत कबुल होंगी . दावत कबुल होंगी तो हिदायात उतरेंगे . इस गश्त के लिए सारे साथी तैयार है क्या ?

सब से बड़ी चीज़ दिल में फ़िक्र हो.जबान पर जिक्र हो. हमारी नज़र निचे हो. चीजों पर निगाह पड़े तो मिटटी समझे, क्यों की मिटटी से बनी है और मिटटी में जाएगी .अपनी नियतो को सही करे असल दावत का मकसद अपनी जात है .गलियों में तीसरा कलमा पढ़े और बाज़ार में चौथा कलमा पढ़े . इस्तग्फार पढ़ते हुए वापस आये.

४ अमल का नाम गश्त है.

१. उमूमी गश्त यह अमल – मस्जिद के बाहर १ जमात जाएगी.

२. इस्तेकबाल यह अमल – मस्जिद के अंदर दरवाज़े पर रुकना .

३.दर्मियानी बात यह अमल – मग़रिब के बाद आने वाले तकाजो पर अपने आपको पेश करना यानी लब्बैक करना, इसपर बात करना.

४. दुआ और जिक्र ये अमाल मस्जिद में होंगा .
गश्त करने वाला अमल अल्लाह के बिचड़े बन्दों को मस्जिद में लेकर उन्हें आलम की फ़िक्र करने वाला बनाये .

उमूमी गश्त | Umoomi gasht

उमूमी गश्त के लिए ज्यादा से ज्यादा १० साथी हो और कम से कम ३ साथी हो . १. रहबर , २. मुतकल्लिम और ३. अमिर

रहबर का काम

रहबर का काम बोहोत ऊँचा और बड़ा है. रेहबर बाअसर आदमी हो तो जायदा बेहतर है . रहबर मुकामी हो तो बेहतर है . जो भी माकन से जायेंगे जमात को दूर खड़ा कर के अच्छे अंदाज़ से भाई को बुलाना सवाली अंदाज़ ना हो . घर के पास खड़े हो और अंदर से चलने की आवाज़ आये तो फ़ौरन सलाम करे . मस्तुरात होंगी तो पर्दा करेगी .भाई आये तो उसे अच्छे अंदाज़ से नरमी के साथ, अजीज़ी से सलाम करे और कहे की अल्लाह के बन्दे अल्लाह के घर से अल्लाह की बात को लेके आये है अल्लाह बड़े अल्लाह की बात बड़ी . ये कह कर उसको माअनुस करे और कपडे जूता या चप्पल पहनाकर पूरा तैयार कर के मुतकल्लिम से मिलाये .अगर दुकान मालिक हो तो दुकान से बहार बुलाकर मिलाए.

मुतकल्लिम का काम

मुतकल्लिम का काम ये है के जिस से मुलाकात हो उस से सलाम और मुसाफा करे और उसे ईमान और यकींन की बात बताकर नकद मस्जिद में लाने की कोशिश करे. मुतकल्लिम ईमान वाले भाई को माअनुस कर के बात शुरू करे .ईमान की अहमियत और ईमान की किमत की बात करे. अल्हम्दुल्लिलाह अल्लाह ने हम सब को ईमान वाला बनाया. अल्लाह के नजदीक ईमान वाले की बोहोत ज़यादा किमत है. एक हदीस पाक का खुलासा है की जो बंदा राई के दाने के बराबर भी ईमान को बचाकर इस दुनिया से ले जायेगा अल्लाह तआला उसे इस दुनिया से १० गुना बड़ी जन्नत देंगे. ईमान वाला ईमान पर मेहनत करेगा तो उसका ईमान बढेगा, बढ़ता हुआ ईमान अल्लाह के हुकुम और हुजुर स. के तरीके पे चलाएगा .अगर ईमान वाला ईमान पे मेहनत करना छोड़ देगा तो ईमान कमज़ोर हो जायेगा. इसके वजह से दुनिया में तो नुक्सान होगा और आखिरत में भी जबरदस्त नुक्सान उठाना पड़ेगा . यही ईमान मौत के वक़्त साथ देगा , पुलसिरात के वक्त साथ देगा , हश्र के मैदान में साथ देगा और अल्लाह की रहमत से करीब करेगा और जन्नत में ले जायेगा .

इतनी ज्यादा बात ना हो के बयान हो और इतनी छोटी बात न हो के एलान हो जाये. अगर कोई उज्र बताये तो पहले उसको सहबा की कुर्बानी बताये फिर भी उज्र बताये तो उसको दीन का दाई बनाकर छोड़ दे और कहे की आपका काम पूरा होते ही आपके भाई और साथी को लेकर आये. हर साथी जिक्र बंद कर के मुतकल्लीम साहब की बात दीन का मोहताज बन के सुने. मुतकल्लिम साहब हर साथी को देखते हुए बात करे .अगर साथी आने के लिए तैयार हो जाये तो उसको आमिर के हवाले करे .कामियाब है वो बात करने वाला जो मुख़्तसर बात कर के नकद मस्जिद भेजदे .

अमिर का काम

अमिर साहब का काम यह है मस्जिद से निकलते वक्त दुआ कर के निकले. जमात को जिक्र और फ़िक्र के साथ एक बाजू से ले जाये .रहेबर सामने हो ,रहेबर के पीछे मुतकल्लिम हो और पुरे साथियों को निगरानी करते हुए आमिर साहब आखिर में हो .कोई उसूल टूटे तो एक बाजु में जुड़कर फिकर दिलाये कोई साथी ज़िक्र से गाफिल हो तल्फिन करे नज़र की हिफाज़त करे . घर के पास गए तो परदे का खयाल करते हुए बाजू में रुके .अगर कोई साथी आने के लिए तैयार हो जाये तो उसके जमात के १ साथी के साथ मस्जिद के तरफ रवाना करे . जब रहबर कहे की मुलाकात ख़तम हुए तो आमिर साहब सब साथी को कहे की जिस तरह हमे गश्त का काम करना था हम नहीं कर पाए इन्शालाह दुबारा हम गश्त का अमल इस से बेहतर करेंगे . सब साथी को अस्तगफिरूल्लाह पढ़ने को कहे और नदामत के साथ वापस मस्जिद के तरफ रवाना हो जाये .

मस्जिद में होने वाले तीन आमल है

दूसरी जमात का अमल


१. इस्तगबाल वाले का काम :– इस्तगबाल में १ य २ साथियो को रखे मस्जिद के दरवाज़े के पास खड़े होकर आने वाले भाइयो को सलाम और खैरियत पुचकार, अगर नमाज़ ना पढ़े हो तो तहारत खाना, वजू खाना दिखाए. नमाज़ पूरी होने के बाद दीनी मजलिस में बिठाये. फुजूल बात किये बगैर जीकर फ़िकर में रहे .

तिसरी जमात का अमल

२.दर्मियान में बात :- १.दुनिया की बे रागबती की बात हो २.आखिरत से रागबत की बात हो ३.दीन पे चलने के फायदे की बात हो ४.अल्लाह के रास्ते में चलने के फज़ईल बताये. बात एसी हो आनेवाले को लगे अभी बात शुरू हुई है और सुनने वाले को लगे की अभी बात खातम हो रही है .याने बात में छोटे छोटे जुमले हो. दर्मियानी बात में बाकि साथियों को जोड़कर दीन का ज़हन बनाये.अल्लाह के रास्ते में निकलने वाले बने. मग़रिब के बयान के बाद आपने आप को पेश करने वाले बने .अंबिया और सहाबा की दीन के खातिर कुर्बानिया दी गयी है वह सुनाए.

चौथी जमात का अमल

३. दुआ :– गश्त की जान जिक्र और दुआ है . किसी एक या दो साथी को जिक्र और दुआ में बिठाये .थोड़ी देर जिक्र करके गश्त वाला काम कामियाब होने के लिए थोड़ी देर दुआ करे फिर जिक्र करे . गश्त वाला अमल कामियाब होने और पुरे आलम के लिए दुआ अल्लाह से करे बहार गई जमात के लिए दुआ करे इस बस्ती में १०० फिसद दीन जिंदा फर्मा.. जिस बन्दे के पास जमात गयी है उसका दिल नरम फर्मा. .नकद आने वाला बना दे आपकी मदद अता फर्मा. . तेरे मदद के बगैर हम यह काम नहीं कर सकते. बाहर गई जमात की हिफाज़त करे . यह दुआ का अमल पावर हाउस का काम करता है .

ARMAN
ARMANhttps://islamforall.in
Arman Tamboli, Masters in Islamic University. 14+ years of experience helping individuals with Islamic Knowledge & Quran. Certified by Islamic Scholar University.
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