मशवरा का मकसद :- आपस में इज्तेमाईयत और मानने का जज्बा पैदा हो जाए.
सबकी फिकर एक होकर, तमाम दिलो का जुड़कर काम की कारगुजारी लेना और आये काम के तकाजो को तरतीब के साथ पूरा करने की शकल देना .अल्लाह का दीन हमारे ज़िन्दगी में आजाए.जिसने मशवरा किया वो शर्मिन्दा न हुआ, मस्जिद्वार जमात में ५ अमल में सबसे पहले अमल मशवरा है .मशवरा अहम् और बुनियादी अमल है. मशवरा दिलो का जोड़ है और फिकरो का निचोड़ है. तकाजो को पूरा करने की नियत से बैठना.
मशवरे में ३ फिकर को लेके बैठे –
यह मशवरे की बुनियाद है
१.मेरी इस्लाह किस तरह हो जाये, अपनी जात से लेकर पूरी दुनिया में दीन किस तरह जिंदा हो जाये.
२. जिस तरह हम अल्लाह के रस्ते में निकले उसी तरह बस्ती से जमाते निकले.
३.मस्जिदवार जमात कमज़ोर हो तो उसे मजबूत बनाये . अगर जमात मजबूत है तो उस से काम सीखे .
मशवरे के आदाब :-
१. मशवरा अल्लाह का हुकुम है .मशवरा अंबिया अलैहिस्सलाम की सुन्नत है सहाबा रजियल्लाहू अन्हु की सिफत है और हमारी जरुरत है .
२. हमारे अंदर मानने का जज्बा पैदा हो.
३. मशवरे से आदमी नादिम नहीं होता .
४. एक ज़िम्मेदार को मुन्तखब करले अगर जमात का ज़िम्मेदार हो तो ज़रूरत नहीं है .
५. अपनी राय अमानत समजकर दे .जिम्मेदार जिसे पूछे वही राय दे.
६. किसी और की राय को न काटे .राय को दाहिनी तरफ से शुरू करे
७. दीन के फायदे को सामने रख कर राय दे.
८. जो साथी जिस काम के लिए काबिल है उसकी राय दे .
९. खिदमत और एलान में अपने आप को पेश करे .
१०. मशवरेo से पहले मशवरा ना हो ( जिसे साजिश कहते है ) और मशवरे के बाद कोई तज़किरा ना हो (जिसे बगावत कहते है ).
११. मशवरे से मशवरा बदला जा सकता है
१२. घर पे मशवरा करे तो मस्तुरात और बच्चो को अमिर ना बनाये.
१३. जिसकी राय पर अमीर फैसला करे वो इस्ताग्फार करे .
१४. जिस बात पर फैसला हो जाये तमाम साथी उसको खुश दिल के साथ कुबूल करे और काम को अंजाम दे.
Learn More Dua Like – Safar ki Dua, Dua e Masura, Istekhara dua, Dua Qunoot, Ghusl ki dua, Roza rakhne ki, Azan ke baad ki dua, Masjid me Dakhil hone ki dua, Masjid se bahar jane ki dua , sone ki dua, soke uthne ki dua , Nazar se bachne ki dua, Wazu ki dua , Allah se Mangne ki dua