कलिमाते नमाज – Namaz Kaise Padhte hai ?
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Tauz –ताउज :-
अअुजु बिल्लाही मिनश-शैयतानिर्रजिम (मै पनाह मांगता हुँ अल्लाह की शैतान मरदूद से)
Tasmiya – तस्मिया :-
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम. शुरू करता हुँ मै अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहेरबान और निहायत रहेम वाला है
Takbir e tehrima – तकबीरे तहरीमा :-
अल्लाहु अकबर ( अल्लाह सब से बड़ा है )
Ruku ki tasbih – रुकू की तस्बीह :-
सुब-हान रब्बियल अजीम.(मै अपने रब की पाकी बयान करता हुँ)
Tasmia – तस्मिअ :-
समिअल्लाहू लिमान हमीदह. (अल्लाह तआला ने सुन ली उस शख्स की जिस ई उसक की तारीफ़ की )
Tehmid – तहमिद :-
रब्बना ल-कल हम्द. (ऐ मेरे रब ! तमाम तारीफे तेरे लिए है )
Sajide ki Tasbih – सजदे की तस्बीह :-
सुब-हान रब्बियल आअला.(में अपने बुलंद रब की पाकी बयान करता हुँ)
Taslim – तस्लीम :-
अस्सलामु अलैकुम व रेहमतुल्लाह.(तुम पर सलामती और अल्लाह की रहमत हो)
Sana – सना :-
सुब-हानकल्ला हुम्म व बिहम्दिक व तबारकस्मुक व तआला जददुक वला इलाह गैरुक.
Attahiyat– अत्ताहिय्यात :-
अत्ताहिय्याहतु लिल्लाहि वस-सलवातु वत्तय्यीबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू अस्सलामु अलैना वअला इबदिल्लाहिस्सालिहीन अश-हदु अल्ला इलाह इल्लललाहु व अश-हदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह.
Darud sharif in namaz – दुरुद शरीफ :-
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिंवव अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैत अला इब्राहीम वअला आलि इब्राहीम इन्नक हमीदुम-मजीद. अल्लाहुम्म बारिक अला मुहम्मदिंवव अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकत अला इब्राहीम वअला आलि इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद.
Dua e Masura – दुआए मासुरा :-
अल्लाहुम्म इन्नी ज़लम्तु नफ्सी ज़ुलमन कसीरंव्वला यग्फिरूज़-ज़ुनूबा इल्ला अन्त फग्फिरली मग्फिरतम मिन इन्दिक वरहम्नी इन्नक अन्तल गफूरुर्रहीम.
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Namaz Kaise Padhe | Namaz Padhneka Tarika | नमाज कैसे पढ़ें: एक सरल गाइड
नमाज इस्लाम में सबसे महत्वपूर्ण इबादत है, जिसे हर मुसलमान को दिन में पांच बार पढ़ना अनिवार्य है। यह अल्लाह से संवाद का सबसे पवित्र तरीका है और इसे सही तरीके से अदा करना जरूरी है। यहां नमाज पढ़ने का आसान तरीका बताया जा रहा है:
Sabse Pehle Paak Rehna Gusul karna – Aur Wazu karna – Janiye Wazu kaise tootta hai.
1. नमाज ke Farz – 14 hai
2. नमाज के लिए नीयत (इरादा) करें
नमाज शुरू करने से पहले दिल में नीयत करें कि आप किस नमाज को पढ़ने जा रहे हैं (फज्र, ज़ुहर, अस्र, मगरिब, ईशा)। नीयत मन में की जाती है, कोई आवाज़ से बोलने की जरूरत नहीं।
3. तकबीर-ए-तहरीमा (नमाज की शुरुआत)
- “अल्लाहु अकबर” कहकर नमाज शुरू करें और अपने दोनों हाथों को कंधों तक उठाएं, फिर हाथों को नीचे लाकर नाभि के नीचे बांध लें (पुरुष) या छाती पर (महिलाएं)।
4. सना (प्रशंसा) पढ़ें
- “सुभानक अल्लाहुम्मा वा बिहम्दिका, वताबारकास्मुका, वतआला जद्दुका, वला इलाहा ग़ैरुक।”
5. सूरह फातिहा (उम्मुल किताब) पढ़ें
- “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अर-रहमानिर-रहीम, मालिके यौमिद्दीन, इय्याक नाबुदु वा इय्याक नस्तईन, इहदिनास सिरातल मुस्तकीम, सिरातल्लजीना अनअमत अलेहिम, गैरिल मग्दूबी अलेहिम, वलद्दालीन।”
6. कुरान की कोई छोटी सूरह पढ़ें
- इसके बाद कुरान की कोई छोटी सूरह पढ़ें, जैसे:
- सूरह इखलास: “कुल हुवल्लाहु अहद, अल्लाहुस समद, लम यलिद वलम यूलद, वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद।”
7. रुकू (झुकना) करें
- “अल्लाहु अकबर” कहते हुए रुकू में जाएं। अपने घुटनों पर हाथ रखें और तीन बार कहें:
- “सुभाना रब्बियल अजीम।”
8. कियाम (खड़ा होना)
- “समीअल्लाहु लिमन हामिदा” कहकर खड़े हो जाएं और फिर कहें:
- “रब्बना लक-ल-हम्द।”
9. सजदा (साष्टांग दंडवत) करें
- “अल्लाहु अकबर” कहते हुए सजदा में जाएं और तीन बार कहें:
- “सुभाना रब्बियल अ’ला।”
10. दूसरा सजदा
- “अल्लाहु अकबर” कहते हुए उठकर बैठें और फिर दूसरा सजदा करें, और वही शब्द तीन बार दोहराएं।
11. दूसरी रकात
- पहले की तरह दूसरी रकात शुरू करें। सूरह फातिहा और कोई छोटी सूरह पढ़ें, रुकू और सजदा करें।
12. तशह्हुद (बैठकर पढ़ना)
- दूसरी रकात के बाद, तशह्हुद की स्थिति में बैठें और कहें:
- “अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु, अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू। अस्सलामु अलैन व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन। अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू।”
13. दुरूद शरीफ पढ़ें
- “अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिं व अला आले मुहम्मदिं, कमा सलैत अला इब्राहीम व अला आले इब्राहीम, इन्नका हमीदुम मजीद।”
14. दुआ मांगे
- दुरूद शरीफ के बाद, Dua Masura Padhe
15. सलाम फिरना (नमाज खत्म करना)
- पहले दाईं ओर मुड़कर कहें: “अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्लाह।”
- फिर बाईं ओर मुड़कर भी वही दोहराएं: “अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्लाह।”
16. नमाज की रकातें
- फज्र: 2 रकात (फर्ज)
- ज़ुहर: 4 रकात (फर्ज)
- अस्र: 4 रकात (फर्ज)
- मगरिब: 3 रकात (फर्ज)
- ईशा: 4 रकात (फर्ज) + 3 रकात (वित्र)
नमाज के फायदे
- आध्यात्मिक विकास: नमाज अल्लाह से जुड़ने और आत्मा को शांति देने का तरीका है।
- समय की पाबंदी: नियमित नमाज से दिनचर्या में अनुशासन आता है।
- शारीरिक लाभ: नमाज के दौरान किए जाने वाले साष्टांग दंडवत और अन्य मुद्राएं शारीरिक रूप से भी लाभकारी होती हैं।
नमाज इस्लाम का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो आत्मा की शुद्धि और अल्लाह की कृपा प्राप्त करने का साधन है।