सजदा साहव नमाज़ में वाजिब छूट जाने पर करते है .नामाज में कुछ नुक्सान ऐसे है की उन्हें दूर करने के लिए नमाज़ के आखरी कायदे (अत्ताहियात में , दरूद के पहले १ सलाम फेर के ) दो सजदे किये जाते है उन्हें सजदा सहव कहते है.
सजदा सहव करने का तरीका ये है :-
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आखरी काअदे में तश्शहुद पढने के बाद एक तरफ सलाम फेर लेना है फिर तकबीर कहे और सजदा करे. सजदे में तीन बार तस्बीह पढ़े (सुबहा-न रब्बियल आला ) फिर तकबीर (अल्लाहु अकबर ) कहता हुए सर उठाये और सीधा बैठ कर फिर तकबीर (अल्लाहु अकबर )कहते हुए दूसरा सजदा करे फिर तकबीर कहता हुए सर उठाये और बैठ कर दोबारा अत्तहियात की मिकदार में और दरूद शरीफ और दुआ मासुरा पढ़े कर दोनों तरफ सलाम फेरे.
सजदा सहव कब करना है और वाजिब कब होता है :-
१. नमाज़ में किसी वाजिब के छूट जाने से
२. नमाज़ में वाजिब में देर हो जाने से
३. नमाज़ फ़र्ज़ में देर हो जाने से
४. नमाज़ में किसी फ़र्ज़ को दो मुकददम कर देने से
५. नमाज़ में किसी फ़र्ज़ को दो बार कर देने से – जैसे दो बार रुकू कर लिया.
६. नमाज़ में किसी वाजिब की हालत बदल देने से सजदा सहव वाजिब होता है .
७. नामज़ के फ़र्ज़ की पहली रकअता या दूसरी रकात या इन दोनों में और वाजिब या सुन्नत नमाज़ या नफिल नमाज़ की किसी एक या ज्यादा रकअतो में सुरह फातिहा छूट जाने से सजदा सहव वाजिब होता है .
८. नामज़ की इन्ही सारी रकअतो में पूरी सुरह फातिहा या उसके ज्यादा हिस्से को दो बार पढ़े जाने से
९. नमाज़ में सुरह फातिहा से पहले कोई और सुरह पढ़े जाने से.
१०. फ़र्ज़ नमाज़ की तीसरी रकात और चोथी रकअतो के सिवा हर नमाज़ की ( फ़र्ज़, सुन्नत, नफिल नामज़ ) किसी रकआत में सूरत छूट जाने से सजदा सहव वाजिब होता है .लेकिन यह सब गलती से भूलसे हो.
सजदा सहव (Sajdah Sahav) क्या है?
सजदा सहव इस्लाम में नमाज़ (सलात) के दौरान होने वाली एक विशेष क्रिया है। यह तब किया जाता है जब नमाज़ में कोई गलती होती है या कुछ महत्वपूर्ण बातें याद न आ पाती हैं। इसे “भूल के सजदा” भी कहा जाता है।
सजदा सहव करने का कारण
- नमाज़ में भूल: यदि आप नमाज़ में कुछ भूल जाते हैं, जैसे कि रकात (नमाज़ की यूनिट) को छोड़ देना या ज़्यादा रकात पढ़ लेना।
- संदेह: अगर आपको यह संदेह होता है कि आपने नमाज़ में कुछ सही किया या नहीं।
- सजदा या रुक्न में कोई कमी: अगर आप सजदे या खड़े होने में कोई गलती करते हैं।
सजदा सहव कैसे किया जाता है?
- नमाज़ का पूरा करना: पहले आपको अपनी नमाज़ को सामान्य तरीके से पूरा करना है।
- आखिरी ताशहुद से पहले: नमाज़ के आखिरी ताशहुद (अवसान) से पहले आपको सजदा सहव करना होता है।
- दो सजदे: सजदा सहव में दो सजदे किए जाते हैं। यह सामान्य सजदों की तरह होता है:
- पहले सजदे में सिर को ज़मीन पर रखें।
- फिर उठकर दूसरे सजदे में जाएँ।
- ताशहुद: सजदा सहव के बाद, आप सामान्य तरीके से ताशहुद पढ़ें और नमाज़ समाप्त करें।
सजदा सहव के फायदे
- क्षमा: यह अल्लाह से क्षमा मांगने का एक तरीका है, जिससे आपकी गलती को माफ किया जा सकता है।
- नमाज़ की सहीता: यह आपकी नमाज़ को सही और पूर्ण बनाता है।
निष्कर्ष
सजदा सहव नमाज़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें हमारी भूलों को सुधारने का मौका देता है। इसे सही तरीके से करने से आपकी नमाज़ अधिक स्वीकार होती है और अल्लाह की कृपा प्राप्त होती है। यदि कभी भी आपको लगे कि आपने नमाज़ में कुछ गलती की है, तो सजदा सहव करें और अपने इबादत को पूरा करें।