Tahajjud ki Namaz Ka Tarika,Time, Fazilat:-ताजह्जुद की नमाज़

अस्सलामु अलैकुम, इस पोस्ट में हम आपको Tahajjud ki Namaz Ka Tarika के बारे में हर मुमकिन जानकारी देंगे। अगर आप Tahajjud ki Namaz Ka Tarika से जुड़े सवालात का जवाब जानना चाहते हैं, तो पोस्ट आखिर तक पढ़ें

Tahajjud ki Namaz kya hai तहज्जुद की नमाज़ क्या है?

तहज्जुद की नमाज़ एक नफ़्ल नमाज़ है जो रात के वक़्त, नींद के बाद उठकर पढ़ी जाती है। इस नमाज़ का ज़िक्र क़ुरान और हदीस दोनों में मिलता है। यह इबादत अल्लाह के क़रीब होने और दुआओं के क़बूल होने का ज़रिया मानी जाती है।

क़ुरान और हदीस की रोशनी में:

क़ुरान:

सूरह अल-इसरा (17:79):
और रात के कुछ हिस्से में तहज्जुद की नमाज़ पढ़ो, यह तुम्हारे लिए एक ज़ायद नफ़्ली अमल है, उम्मीद है कि तुम्हारा रब तुम्हें मक़बूल मक़ाम पर खड़ा करे।

सूरह अल-मुज़्ज़म्मिल (73:2-4):
रात को इबादत के लिए उठ, आधी रात या उससे थोड़ा कम, या थोड़ा ज़्यादा, और क़ुरआन को धीरे-धीरे समझकर पढ़।

हदीस:

सहीह बुख़ारी:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: अल्लाह सुभानहु व त’आला हर रात आख़िरी पहर (रात का आख़िरी हिस्सा) क़रीब होता है और कहता है: ‘क्या कोई है जो मुझसे मांगे, और मैं उसकी दुआ क़बूल करूँ?’

सहीह मुस्लिम:
तहज्जुद की नमाज़ सबसे अफ़ज़ल नफ़्ल है। तुम्हें इस पर दवाम करना चाहिए।

हदीस कुदसी:
जो बंदा रात के वक़्त उठकर मेरी इबादत करता है, उसका मक़ाम मेरे नज़दीक क़रीब हो जाता है।

सुन्नत:

सुन्नत-ए-नबवी:
रसूलुल्लाह ﷺ तहज्जुद की नमाज़ को बहुत अहमियत देते थे और अपनी ज़िंदगी में इस पर अमल करते रहे।

Tahajjud ki Namaz waqt तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त

 क़ुरआन की रोशनी में:

सूरह अल-मुज़्ज़म्मिल (73:2-4):
रात के वक़्त उठो, आधी रात या उससे थोड़ा कम या थोड़ा ज़्यादा, और क़ुरआन को धीरे-धीरे समझकर पढ़ो।
इस आयत से मालूम होता है कि तहज्जुद की नमाज़ आधी रात के बाद या रात के आख़िरी हिस्से में पढ़ी जाती है।

सूरह अल-इसरा (17:79):
और रात के कुछ हिस्से में तहज्जुद की नमाज़ पढ़ो, यह तुम्हारे लिए एक अतिरिक्त नफ़्ली अमल है, उम्मीद है कि तुम्हारा रब तुम्हें मक़बूल मक़ाम पर खड़ा करे।
इस आयत से भी साफ़ ज़ाहिर होता है कि तहज्जुद का वक़्त रात का वो हिस्सा है जब इंसान सोकर उठे।

2. हदीस की रोशनी में:

सहीह बुख़ारी:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया कि अल्लाह रात के आख़िरी हिस्से में ज़मीन के आसमान पर उतरता है और कहता है, ‘कौन है जो मुझसे दुआ माँगे, और मैं उसे क़ुबूल करूँ?’
इस हदीस से मालूम होता है कि तहज्जुद की सबसे अफ़ज़ल नमाज़ रात के आख़िरी हिस्से में पढ़ी जाती है।

सहीह मुस्लिम:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया कि रात की इबादत (तहज्जुद) सबसे अफ़ज़ल है।
इससे पता चलता है कि तहज्जुद का वक़्त सोने के बाद उठने के बाद है, और इसे रात के आखिरी पहर में अदा करना बेहतर है।

Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika

Tahajjud Ki Namaz में कितनी रकात होती हैं?

तहज्जुद की नमाज़ में रकातों की कोई तय सीमा नहीं है। इंसान अपनी मर्ज़ी और हिम्मत के मुताबिक़ जितनी चाहे रकातें पढ़ सकता है। मगर हदीस में इसका तरीका और रकातों की एक मिसाल मौजूद है।

1. क़ुरआन की रोशनी में:

क़ुरआन में तहज्जुद की रकातों की स्पष्ट संख्या का ज़िक्र नहीं है, बल्कि बस इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि ये रात के वक़्त की इबादत है।

सूरह अल-इसरा (17:79):
और रात के कुछ हिस्से में तहज्जुद की नमाज़ पढ़ो, यह तुम्हारे लिए एक अतिरिक्त नफ़्ली अमल है।

2. हदीस की रोशनी में:

सहीह बुख़ारी:
उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा बयान करती हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ तहज्जुद की नमाज़ 11 रकात पढ़ते थे।
इसका मतलब है कि रसूलुल्लाह ﷺ ज़्यादातर 8 रकात तहज्जुद और 3 रकात वित्र पढ़ते थे।

सहीह मुस्लिम:
रसूलुल्लाह ﷺ की तहज्जुद की नमाज़ कभी-कभी 13 रकात तक भी होती थी।
ये हदीस बताती है कि आप ﷺ कभी-कभी 8 रकात तहज्जुद और 5 रकात वित्र पढ़ते थे।

सहीह बुख़ारी:
तहज्जुद की नमाज़ की कोई निर्धारित सीमा नहीं है, आप जितनी मर्जी रकात पढ़ सकते हैं।
यह बताता है कि कोई भी 2, 4, 6, 8 या जितनी मर्जी रकातें पढ़ सकता है, मगर सबसे ज्यादा मस्नून 8 रकातें मानी जाती हैं।

नतीजा:
तहज्जुद की नमाज़ में रकातों की कोई तय सीमा नहीं है, लेकिन रसूलुल्लाह ﷺ ने आमतौर पर 8 रकात तहज्जुद और 3 रकात वित्र पढ़ी हैं।

Tahajjud Ki Namaz Ki Niyat

तहज्जुद की नमाज़ की नियत (2 रकात):

तहज्जुद की नमाज़ के लिए नियत (इरादा) दिल में करना ज़रूरी है, यानी आप अपने दिल में यह ठान लें कि आप तहज्जुद की 2 रकात नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं। नियत का ज़िक्र ज़ुबान से भी किया जा सकता है, लेकिन इसका दिल में होना अहम है।

2 रकात तहज्जुद की नमाज़ की नियत इस तरह की जा सकती है:

मैं नियत करता हूँ 2 रकात तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने की, अल्लाह के लिए, मेरे मुँह काबा शरीफ की तरफ है।

अरबी में नियत इस तरह की जाती है:

उस्सल्ली सल्लत-तहज्जुद रकअतैन लिल्लाहि त’आला, मुस्तक़बिलल किब्लती अल्लाहु अकबर।

इसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहकर नमाज़ की शुरुआत करें।

तहज्जुद की 2 रकात नमाज़ का तरीका (तफसील से):

  1. नियत (इरादा) करें:
    • सबसे पहले, तहज्जुद की 2 रकात नमाज़ की नियत करें। दिल में यह ठान लें कि आप तहज्जुद की नमाज़ अल्लाह के लिए पढ़ रहे हैं। नियत को ज़ुबान से भी कह सकते हैं, जैसे: मैं नियत करता हूँ 2 रकात तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने की, अल्लाह के लिए, मेरे मुँह काबा शरीफ की तरफ है।
    • फिर हाथों को नीचे लाकर नियत बांध लें, जैसे कि दाएं हाथ को बाएं हाथ के ऊपर रखकर पेट या छाती पर।
  2. सना (सुब्हानक अल्लाहुम्मा) पढ़ें:
    • हाथ बांधने के बाद, सुब्हानक अल्लाहुम्मा व बिहम्दिका व तबारकस्मुका व त’आला जद्दुका व ला इलाहा ग़ैरुका पढ़ें।
  3. तअव्वुज (अउजु बिल्लाह) पढ़ें:
    • इसके बाद अउज़ु बिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम पढ़ें, ताकि शैतान से महफूज़ रहें।
  4. तस्मियह (बिस्मिल्लाह) पढ़ें:
    • अब बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें, ताकि आपकी नमाज़ अल्लाह के नाम से शुरू हो।
  5. सूरह फातिहा (अलहम्दु शरीफ) पढ़ें:
    • इसके बाद सूरह फातिहा (अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन…) पूरी पढ़ें। सूरह फातिहा पूरी करने के बाद आहिस्ता से आमीन कहें।
  6. सूरह इखलास या कोई भी सूरह पढ़ें:
    • अब सूरह इखलास (कुल हु वल्लाहु अहद…) या कोई भी दूसरी छोटी सूरह पढ़ सकते हैं।
  7. रूकूअ (झुकना):
    • अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकूअ में जाएं, यानि कि कमर और सिर को सीधा रखकर झुकें।
    • रूकूअ में जाते ही सुब्हान रब्बियल अज़ीम 3, 5 या 7 बार पढ़ें।
  8. रूकूअ से उठना:
    • समिअल्लाहु लिमन हमिदह (अल्लाह सुनता है उस की जो उसकी तारीफ करता है) कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं।
    • खड़े होते हुए रब्बना लकल हम्द (ऐ हमारे रब, तेरे लिए ही सारी तारीफें हैं) कहें।
  9. पहला सज्दा (सज्दा करना):
    • अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं, यानि कि दोनों घुटनों और हाथों के साथ माथा और नाक को ज़मीन पर रखें।
    • सज्दे में सुब्हान रब्बियल अला 3, 5 या 7 बार पढ़ें।
  10. बैठना (सज्दे के बीच आराम):
    • अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर आराम से बैठ जाएं। इस दौरान कुछ दुआएं या रब्बिघफिरली (ऐ मेरे रब, मुझे माफ़ कर दे) कह सकते हैं।
  11. दूसरा सज्दा:
    • फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरा सज्दा करें। इस सज्दे में भी सुब्हान रब्बियल अला 3, 5 या 7 बार पढ़ें।
  12. दूसरी रकात:
    • अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएं और दूसरी रकात शुरू करें।
    • दूसरी रकात का तरीका भी बिल्कुल पहली रकात जैसा ही होगा: सना को छोड़कर, बाकी सभी कदम (सूरह फातिहा, सूरह, रूकूअ, सज्दे) को फिर से दोहराएं।
  13. तशह्हुद (दोनों रकातों के बाद बैठना):
    • दूसरी रकात के आख़िर में, दूसरे सज्दे के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएं और तशह्हुद (अत्तहियातु लिल्लाहि…) पढ़ें।
    • अगर 2 रकात की नमाज़ है, तो तशह्हुद के बाद दुरूद शरीफ (अल्लाहुम्मा सल्लि अला मोहम्मद…) पढ़ें, फिर कोई भी दुआ करें, जैसे रब्बना आतिना या कोई भी दूसरी दुआ जो आपको आती हो।
  14. सलाम फेरना:
    • आखिर में अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह दाएं और फिर बाएं तरफ सलाम फेरते हुए नमाज़ खत्म करें।

तहज्जुद की नमाज़ के 7 फायदे

  1. अल्लाह के करीब होना:
    • तहज्जुद की नमाज़ अल्लाह से करीब होने का ज़रिया है। रात के सन्नाटे में इबादत करने से इंसान का दिल अल्लाह के साथ जुड़ जाता है और उसकी बंदगी में इखलास पैदा होता है।
  2. दुआओं का कबूल होना:
    • तहज्जुद के वक्त की गई दुआएं खास तौर पर कबूल होती हैं, क्योंकि यह वक्त अल्लाह की रहमत और बरकत का वक्त होता है।
  3. गुनाहों की माफी:
    • तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से इंसान के गुनाह माफ हो जाते हैं। यह एक मौका है जब इंसान अपने गुनाहों के लिए अल्लाह से माफी मांग सकता है।
  4. रूहानी सुकून:
    • रात की इबादत इंसान के दिल और दिमाग को सुकून और तसल्ली देती है। यह नमाज़ इंसान के दिल की बेचेनी को दूर करती है और उसको आंतरिक शांति प्रदान करती है।
  5. अखलाकी सुधार:
    • तहज्जुद की नमाज़ इंसान के किरदार को बेहतर बनाती है। यह इबादत इंसान के अंदर तवक्कल, सब्र, और शुक्र पैदा करती है।
  6. जन्नत का दर्जा:
    • हदीसों में आता है कि जो लोग तहज्जुद की नमाज़ अदा करते हैं, उन्हें जन्नत में खास मकाम मिलेगा। यह नमाज़ जन्नत के ऊंचे दरजों को पाने का सबब बनती है।
  7. दुनियावी मुश्किलों से निजात:
    • तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से इंसान की दुनियावी मुश्किलें हल होती हैं। अल्लाह अपने खास बंदों की मदद करता है जो रात के वक्त उसके आगे झुकते हैं।

हमें यकीन है कि इस शायरी को पढ़कर Tahajjud ki Namaz Ka Tarika का जादू आपके दिल को छू गया होगा। Tahajjud ki Namaz Ka Tarika के साथ इस एहसास को और गहराई से महसूस करें और इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें।

ये भी पढ़े

Sajda sahw – सजदा सहव का तरीका

Namaz ke Wajibat – नमाज़ के १४ वाजिबात

FAQ

तहज्जुद की दुआ कबूल होती है:

  • कुरआन और हदीस:
    तहज्जुद की दुआ कबूल होने का जिक्र हदीस में है। जैसे कि सहिह मुस्लिम में आता है: “अल्लाह हर रात की आखिरी पहर में अपने बंदों के पास आता है और कहता है: ‘क्या कोई है जो मुझसे मांगे, और मैं उसकी दुआ कबूल करूं?'”

क्या मैं 1 बजे तहज्जुद की नमाज अदा कर सकता हूं?

  • कुरआन और हदीस:
    हां, आप 1 बजे तहज्जुद की नमाज़ अदा कर सकते हैं। तहज्जुद की नमाज़ का समय रात के अंतिम हिस्से में है, जो इस्लाम में फज्र की नमाज़ से पहले का समय है। जैसा कि सूरह अल-इसरा (17:79) में बताया गया है: “और रात के कुछ हिस्से में तहज्जुद पढ़ो।”

तहज्जुद में अल्लाह से बात कैसे करें?

  • कुरआन और हदीस:
    तहज्जुद की नमाज़ के दौरान, आप अल्लाह से खुलकर दुआ करें। आप अपने दिल की बात अल्लाह से कहें और उसके सामने अपनी इच्छाएं और जरूरतें रखें। हदीस में बताया गया है कि “दुआ की सबसे अच्छी स्थिति वह है जब इंसान तहज्जुद के वक्त अल्लाह से बात करता है।”

Leave a Comment