अस्सलामु अलैकुम, आज की पोस्ट में हम Namaz Padhne Ka Tarika के तमाम पहलुओं पर बात करेंगे। अगर आपको Namaz Padhne Ka Tarika के बारे में पूरी मालूमात चाहिए, तो पोस्ट को पूरा पढ़ें।
Namaz Padhne Ka Tarika Step By Step
Niyyat (नियत करना)
- नियत दिल से की जाती है, और ज़ुबान से कहना ज़रूरी नहीं होता। आपका दिल ये समझ ले कि आप कौन सी नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं (फर्ज़, सुन्नत, नफ्ल), और कितनी रकअतें हैं। उदाहरण के लिए: “मैं अल्लाह के लिए (फज्र, ज़ुहर, अस्र, मग़रिब या इशा) की (फर्ज़, सुन्नत या नफ्ल) नमाज़ पढ़ने की नियत करता/करती हूँ।
Takbeer-e-Tahrima (अल्लाह-हु-अकबर कहना)
- दोनों हाथ उठाते हुए कानों तक ले जाएं और कहें “अल्लाह-ओ-अकबर,” फिर हाथ सीने पर बाँध लें। मर्द सीने के नीचे और औरत सीने के ऊपर हाथ बांधती हैं।
Qiyaam (खड़े होना)
- सूरह फातिहा पढ़ी जाती है:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है। - الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन
सब तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं, जो सारे जहान का पालने वाला है। - الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
अर्रहमानिर्रहीम
बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला। - مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
मालिकी यौमिद्दीन
जो बदले (क़यामत) के दिन का मालिक है। - إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
इय्याका न’बुदु व इय्याका नस्त’ईन
हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं। - اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
इहदिनास्सिरातल मुस्तकीम
हमें सीधे रास्ते की हिदायत दे। - صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ
सिरातल्लज़ीना अन’अमता अलैहिम
उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया। - غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
ग़ैरिल मग़दूबि अलैहिम वलद्दाल्लीं
उनका नहीं जिन पर तेरा ग़ज़ब हुआ और न ही जो गुमराह हुए। - आमीन
- सूरह फातिहा के बाद कोई दूसरी सूरह या आयत पढ़ी जाती है। उदाहरण के लिए, सूरह इखलास:
- قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ
कुल हुवल्लाहु अहद
कह दो, वह अल्लाह एक है। - اللَّهُ الصَّمَدُ
अल्लाहुस समद
अल्लाह सब से बेनियाज़ है और सब उसी के मोहताज हैं। - لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ
लम यलिद वलम यूulad
न तो वह किसी का बाप है और न किसी का बेटा। - وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ
वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद
और न ही कोई उसके बराबर का है।
Ruku (झुकना)
फिर हाथ घुटनों पर रखकर रुकू किया जाता है। रुकू में यह दुआ पढ़ी जाती है:
“सुभाना रब्बियाल अज़ीम” (3 दफ़ा या ज़्यादा)।
Qaumah (रुकू के बाद खड़े होना)
रुकू के बाद सीधे होकर खड़े होते हैं और कहते हैं:
“समीअल्लाहु लिमन हामिदाह, रब्बना लक़ल हम्द।”
Sajdah (ज़मीन पर झुकना)
फिर दोनों हाथ, घुटने, पैर और पेशानी ज़मीन पर रखकर सज्दा किया जाता है। सज्दे में यह दुआ पढ़ी जाती है:
“सुभाना रब्बियाल अ’ला” (3 दफ़ा या ज़्यादा)।
Jalsa (सज्दे के बाद बैठना)
फिर सज्दे के बाद कुछ देर के लिए बैठते हैं और फिर दूसरा सज्दा करते हैं।
Doosra Sajda (दूसरा सज्दा)
दूसरा सज्दा भी पहले सज्दे की तरह होता है।
Doosri Rakat (दूसरी रकअत)
पहली रकअत के तमाम आमाल (क़ियाम, रुकू, क़ौमा, सज्दा, आदि) फिर से किए जाते हैं।
Tashahhud (बैठकर तशह्हुद पढ़ना)
दूसरी रकअत के बाद बैठ जाते हैं और तशह्हुद पढ़ते हैं:
अत्तहिय्यातु लिल्लाही वस्सलवातु वत्तैय्यिबातु।
अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकातुह।
अस्सलामु अलैना वा अला इबादिल्लाहिस सालिहीन।
अश्हदु अल्ला इलााहा इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह।
(हिंदी अनुवाद):
तमाम इबादतें, दुआएं और पाक चीज़ें सिर्फ़ अल्लाह के लिए हैं।
ऐ नबी, आप पर सलाम हो और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें भी।
हम पर और अल्लाह के नेक बंदों पर भी सलाम हो।
मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अल्लाह के बंदे और रसूल हैं।
- इसके बाद दुरूद इब्राहीम:
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
Allahumma Salli Ala Muhammadin Wa Ala Aali Muhammadin
(हे अल्लाह, मुहम्मद पर और मुहम्मद के आल पर रहमत नाज़िल फरमा।)
- كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
Kama Sallayta Ala Ibraheema Wa Ala Aali Ibraheema
(जैसे तूने इब्राहीम पर और इब्राहीम के आल पर रहमत नाज़िल फरमाई।) - إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
Innaka Hameedun Majeed
(बेशक, तू ही सबसे तारीफ करने वाला और अज़मत वाला है।) - اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
Allahumma Barik Ala Muhammadin Wa Ala Aali Muhammadin
(हे अल्लाह, मुहम्मद पर और मुहम्मद के आल पर बरकत नाज़िल फरमा।) - كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
Kama Barakta Ala Ibraheema Wa Ala Aali Ibraheema
(जैसे तूने इब्राहीम पर और इब्राहीम के आल पर बरकत नाज़िल की।) - إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
Innaka Hameedun Majeed
(बेशक, तू ही सबसे तारीफ करने वाला और अज़मत वाला है।)
- Salaam (नमाज़ का ख़त्मा)
- नमाज़ के आख़िरी हिस्से में दोनों तरफ़ सलाम फेरा जाता है:
- “अस्सलामु अलेकुम व रहमतुल्लाह” — पहले दायीं तरफ़।
- फिर “अस्सलामु अलेकुम व रहमतुल्लाह” — बायीं तरफ़।
नमाज़ का ख़त्मा
- अब आपकी नमाज़ मुकम्मल हो जाती है।
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Sajda sahw – सजदा सहव का तरीका
हमें यकीन है कि हमारे इस पोस्ट Namaz Padhne Ka Tarika ने आपके तमाम सवालों के जवाब दे दिए होंगे। अगर आपके कोई और सवाल हैं तो कमेंट में ज़रूर पूछें, और इसी तरह की पोस्ट पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें।
Namaz Padhne Ka Tarika FAQ
1. नमाज़ पढ़ने का सही वक्त क्या है?
जवाब: हर नमाज़ का एक तय वक्त होता है। जैसे, फजर सुबह की पहली नमाज़ है, जुहर दोपहर में, असर शाम से पहले, मग़रिब सूरज ढलने के बाद, और इशा रात में। हर नमाज़ का वक्त सूरज की स्थिति के अनुसार निर्धारित होता है।
2. क्या नमाज़ में ग़लती होने पर दोबारा पढ़नी चाहिए?
जवाब: हाँ, अगर आपको अपने नमाज़ में कोई ग़लती का एहसास हो, तो आप सजदा-सहव (सजदा की ग़लती की मुआफी के लिए) कर सकते हैं। अगर ग़लती बड़ी हो, तो नमाज़ को दोबारा पढ़ना बेहतर है।
3. क्या नमाज़ में मसलन, तशह्हुद पढ़ना ज़रूरी है?
जवाब: हाँ, नमाज़ में तशह्हुद पढ़ना ज़रूरी है। यह नमाज़ का एक अहम हिस्सा है और इसे दुरूद इब्राहीम के साथ पढ़ा जाता है। तशह्हुद में अल्लाह की इबादत और नबी पर सलाम का इज़हार किया जाता है।
4. क्या महिलाएं नमाज़ घर पर पढ़ सकती हैं?
जवाब: हाँ, महिलाएं घर पर नमाज़ पढ़ सकती हैं। हालांकि, उन्हें मस्जिद में जाने का भी हक है। लेकिन घर पर पढ़ी गई नमाज़ भी पूरी तरह से मान्य है। इबादत का मकसद इमानदारी और तवज्जो से अल्लाह की इबादत करना है।
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